सीतापुर : बीएसए और डीपीआरओ नहीं दे पाए जवाब, बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा में सबसे पहले नोडल अफसर ने बीएसए से मृतक शिक्षक प्रवीन कुमार दीक्षित के बकाया देयों के भुगतान, पारिवारिक पेंशन व आश्रित की नियुक्ति के संबंध में सवाल किया तो बीएसए उन्हें संतुष्ट नहीं कर सक
सीतापुर : खाद्य एवं रसद विभाग की प्रमुख सचिव एवं जिले की नोडल अधिकारी निवेदिता शुक्ला वर्मा ने गुरुवार को जिले में आकर खैराबाद ब्लॉक व डिप्टी आरएमओ कार्यालय का मुआयना किया, फिर उन्होंने कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा की।
बैठक में नोडल अफसर ने डीपीआरओ से सवाल किया कि 14वां वित्त आयोग के तहत वर्ष 2015-16 व 2016-17 में ग्राम पंचायतों में क्या कार्ययोजनाएं बनीं, उनमें कितने कार्य पूरे व अधूरे हैं, कितना पैसा खर्च हुआ, क्या कभी कुछ देखा? जिस पर डीपीआरओ चुप हो गए। बचाव में आए सीडीओ ने सफाई दी कि पिछले वर्षों जब ग्राम पंचायतों ने प्रिया-सॉफ्ट पर संबंधित कार्यों के बिल-बाउचर अपलोड नहीं किए तो सभी 1601 ग्राम पंचायतों के खातों से धन निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद से अब तक 1571 ग्राम पंचायतों ने वर्ष 2015-16 व 2016-17 में खर्च का हिसाब दिया है, शेष 29 ग्रामों में से 9 ग्राम पंचायतों ने आज तक कोई हिसाब नहीं दिया है, जबकि शेष 20 ग्रामों ने आधा-अधूरा हिसाब दिया है। इस पर नोडल अफसर ने डीपीआरओ से 29 ग्राम पंचायतों की सूची देने को कहा।
बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा में सबसे पहले नोडल अफसर ने बीएसए से मृतक शिक्षक प्रवीन कुमार दीक्षित के बकाया देयों के भुगतान, पारिवारिक पेंशन व आश्रित की नियुक्ति के संबंध में सवाल किया तो बीएसए उन्हें संतुष्ट नहीं कर सके। फिर विकास कार्यो की पुस्तिका में दर्शाई गई शिक्षक कार्रवाई के बावत पूछताछ की, इसमें जुलाई माह में 75 अनुपस्थित मिले शिक्षकों में से 49 के विरुद्ध एक दिन का वेतन काटने की कार्रवाई दिखाई गई थी। समझ से परे होने पर नोडल अफसर ने खुद बीएसए को पढ़कर समझाने को कहा, लेकिन वह भी नहीं समझा सके। इसके बाद 40 बंद विद्यालयों के संबंध में प्रगति पूछी तो बीएसए ने बताया कि सभी स्कूलों में शिक्षक नियुक्त हो गए हैं। नोडल अफसर के निरीक्षण आख्या मांगने पर बीएसए बगले झांकने लगे। स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं में नोडल अफसर ने दवाओं की खरीद प्रक्रिया, उपलब्धता आदि की गहन समीक्षा की। सीएमओ डॉ. ध्रुवराज ¨सह ने बताया कि वह सभी तरह की दवाओं के आर्डर कंपनियों को भेज चुके हैं, लेकिन अभी मिली नहीं हैं। दवाओं के अभाव पर सीएमओ ने बताया कि जिला अस्पताल व महिला अस्पताल में रोगी की दवा बाहर की लिखी जाती है, यह सत्यता है लेकिन ऐसा तभी होता है जब संबंधित दवा अस्पताल में न हो और रोगी को उसकी जरूरत हो।