उत्तराखण्ड : शिक्षामित्रों के मामले में अब उप्र पर टिकी निगाह, राज्य को न्यूनतम योग्यताओं को घटाने का कोई अधिकार नहीं
जागरण संवाददाता, देहरादून: शिक्षा मित्रों के मामले में विभाग उप्र के नक्शे कदम पर चलने की फिराक में है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के संबंध में पारित निर्णय और उस पर सरकार की कार्रवाई की विभाग द्वारा जानकारी जुटाई जा रही है। अब यह भविष्य ही बताएगा कि राज्य के शिक्षा मित्रों पर इसका क्या असर पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षामित्रों की सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज और उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है। राज्य को आरटीई एक्ट की धारा 23 (2) के तहत शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यताओं को घटाने का कोई अधिकार नहीं है।