प्रतापगढ़ : संकल्प, समर्पण, देखने आइए यहां, पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटरा ने दी कान्वेंट को मात, डिजिटल क्लास में पढ़ते हैं बच्चे
उच्च प्राथमिक विद्यालय कटरागुलाब सिंह की सुविधायुक्त विज्ञान प्रयोगशाला और प्रोजेक्टर से बच्चों को पढ़ाते प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद फरहीम ।उच्च प्राथमिक विद्यालय कटरागुलाब सिंह की सुविधायुक्त विज्ञान प्रयोगशाला और प्रोजेक्टर से बच्चों को पढ़ाते प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद फरहीम ।
राजनारायण शुक्ल राजन ’प्रतापगढ़ । क्या रखा है सरकारी स्कूलों में। यह सवाल खुद जवाब बन गया है पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटरा गुलाब सिंह में। संकल्प यह कि गढ़ेंगे भारत की नई और योग्य पीढ़ी। समर्पण यह कि स्कूल टाइम के बाद भी बच्चों को पढ़ाएंगे। सफलता यह कि आसपास के कान्वेंट स्कूल संचालक पस्त और इस सरकारी स्कूल के नौनिहाल अपनी काबिलियत के परचम को प्रदेश स्तर पर फहरा रहे हैं।
प्रतापगढ़ के सबसे बड़े ब्लाक मानधाता के इस स्कूल को औरों से अलग व खास बनाने के केंद्र में हैं यहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद फरहीम। इन्होंने अपने प्रयास से इस स्कूल में बच्चों की फुलवारी को चहका दिया। कान्वेंट की तर्ज पर सुविधाएं बढ़ीं तो बच्चों की संख्या 70 से बढ़कर 240 हो गई। खास बात यह है कि सभी बच्चों का नामांकन आधार नंबर के जरिए हुआ है।
बिना विभाग की मदद के मोहम्मद फरहीम ने स्कूल में विज्ञान प्रयोगशाला का सृजन किया। कम्प्यूटर कक्ष और पुस्तकालय खोला। अब तो क्लास को भी डिजिटल बना दिया है। इसमें चमचमाते प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है। यही नहीं परंपरागत प्रार्थना व राष्ट्र गान प्रतिदिन तय समय पर लाउडस्पीकर लगाकर कराया जाता है। बच्चों के लिए स्कूल में लाइट, पंखा, फर्नीचर, परिचय पत्र और टाई-बेल्ट अपने संसाधनों से उपलब्ध कराए हैं।
प्रभारी प्रधानाध्यापक का जुनून ही है कि वह इसे सरकारी नौकरी के तौर पर ही नहीं लेते। वह स्कूल के पढ़ने में कमजोर सभी बच्चों को शाम को निश्शुल्क कोचिंग भी पढ़ाते हैं। इस स्कूल ने उनके प्रयास से स्काउट गाइड में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। दो साल से खेलकूद प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम में राज्य स्तर पर पुरस्कार मिला। इस स्कूल की चर्चा को सुन बेसिक शिक्षा विभाग ने खंड शिक्षा अधिकारी लालगंज को भेजकर बीते माह निरीक्षण कराया। वह स्कूल की तस्वीर देखकर दंग रह गए।
फरहीम को अपने कर्तव्य को निभाने की इतनी फिक्र है कि वह खुद ही सुबह स्कूल खोलने पहुंच जाते हैं। अंत में सभी बच्चों के घर जाने के बाद ही जाते हैं। स्कूल का रंग रोगन कराया गया है। क्लासों में महापुरुषों, वैज्ञानिकों की तस्वीरें लगाकर उनके बारे में बच्चों को बताना रोज का इनका काम है। इनकी मेहनत का सुखद परिणाम यह है कि इस स्कूल में अपने बच्चों का प्रवेश कराने को लोग दौड़ पड़ते हैं। इसके चलते इस सरकारी स्कूल के आसपास के निजी स्कूलों को बच्चों के लाले पड़ गए हैं।
अभिभावक भी हो रहे प्रेरित
बच्चों को क्रांतिकारियों के जीवन से प्रेरणा लेने का प्रयास भी खास है। स्कूल परिसर में सरदार भगत सिंह, नेता जी सुभाष चंद्र बोस आदि की मूर्ति स्थापित करके हर दिन बच्चों को उनके जैसा बनने को प्रेरित किया जाना अभिभावकों को भी प्रेरित करता है।