गोरखपुर : यहां ताक पर 'शिक्षा का अधिकार, विद्यालय में ही कक्षा छह से आठ तक के छात्रों से शुल्क लिया जा रहा
गोरखपुर : राजकीय जुबिली इंटर कालेज में ही शिक्षा का अधिकार (आरटीई) ताक पर है। पूर्वाचल के इस प्रमुख राजकीय विद्यालय में ही कक्षा छह से आठ तक के छात्रों से शुल्क लिया जा रहा है। ¨हदी माध्यम के छात्रों से छह प्रकार के तथा अंग्रेजी माध्यम के छात्रों से दस प्रकार के शुल्क लिए जा रहे हैं। यही नहीं अंग्रेजी और कंप्यूटर के नाम पर अलग से 600 रुपये लिए जाते हैं। चार मद में तो अर्द्धवार्षिक शुल्क निर्धारित हैं। यह तब है जब सरकार अनिवार्य रूप से कक्षा आठ तक के सभी बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है। साथ में प्रत्येक दिन मध्याह्न भोजन, बुधवार को दूध, सोमवार को फल, ड्रेस, बैग, जूता और मोजा भी प्रदान कर रही है।
विद्यालय के शुल्क विवरण के अनुसार ¨हदी माध्यम के कक्षा छह से आठ तक के छात्रों से साइकिल, परिचय पत्र, टिकट-अंशदान, जलपान और बीमा के नाम पर वार्षिक तथा जेनरेटर के नाम पर अर्द्धवार्षिक शुल्क लिया जा रहा है। अंग्रेजी माध्यम के छात्रों से पीटीए, गृह परीक्षा-प्रगति, पत्रिका शुल्क, साइकिल स्टैंड, परिचय पत्र, टिकट-अंशदान, जलपान, जनरेटर, बीमा और कंप्यूटर शुल्क वसूला जा रहा है। इसमें चार मद में अर्द्धवार्षिक शुल्क भी शामिल है। विद्यालय में कक्षा छह से 12 तक के छात्रों से पुन: प्रवेश के नाम पर 10, टीसी के नाम पर 10, विलंब व अनुपस्थिति शुल्क एक-एक रुपये निर्धारित है। इस संबंध में जब प्रधानाचार्य नंद प्रसाद यादव ने बताया कि यह सभी शुल्क पहले से ही लिए जा रहे हैं। उन्होंने कोई शुल्क निर्धारित ही नहीं किया है। सवाल यह है कि क्या संबंधित अधिकारी इस विद्यालय के अभिलेखों की जांच-पड़ताल नहीं करते। जुबिली ही नहीं अन्य राजकीय विद्यालयों में भी छात्रों से शुल्क लिए जा रहे हैं।
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अपने अनुसार शुल्क निर्धारित
करते हैं कक्षा अध्यापक
विद्यालय के छात्र और अभिभावकों ने जिलाधिकारी से लिखित शिकायत भी की है। उनका आरोप है कि विद्यालय में मनमाने ढंग से शुल्क वसूला जा रहा है। कक्षा अध्यापक अपने हिसाब से शुल्क निर्धारित करते हैं। जितना शुल्क लेते हैं, उससे कम की रसीद देते हैं। रसीद भी मांगने पर ही देते हैं। इसकी शिकायत प्रधानाचार्य से की जाती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। जिलाधिकारी ने जिला विद्यालय निरीक्षक को मामले की जांच के लिए लिखा है।
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कोट
- कक्षा आठ तक के बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है। उनसे किसी भी मद में शुल्क नहीं लिया जा सकता। अगर शुल्क लिया जा रहा है तो यह गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी और कार्रवाई भी होगी।
- ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह भदौरिया, डीआइओएस- गोरखपुर