ALLAHABAD HIGHCOURT, SHIKSHAK BHARTI, RETIREMENT : रिटायर शिक्षकों को मानदेय पर रखने पर जवाब तलब, 26 अक्तूबर 2017 के शासनादेश की वैधानिकता के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साढ़े 26 हजार रिटायर अध्यापकों को मानदेय पर रखने के 26 अक्तूबर 2017 के शासनादेश की वैधानिकता के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश...
हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साढ़े 26 हजार रिटायर अध्यापकों को मानदेय पर रखने के 26 अक्तूबर 2017 के शासनादेश की वैधानिकता के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने रमेश चंद्र व चार अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह व अन्य को सुनकर दिया है। याचिका के अनुसार राज्य सरकार इस शासनादेश के माध्यम से अंतरिम व्यवस्था के तहत रिटायर अध्यापकों को मानदेय पर रखने जा रही है। याचिका में इसे मनमानापूर्ण व समानता के मूल अधिकार के विपरीत बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार 26,500 रिटायर अध्यापकों की मानदेय पर भर्ती करने जा रही है। इनमें प्रवक्ता के लिए 20,000 रुपये और टीजीटी वालों के लिए 15,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय का प्रावधान किया है। रमेश चंद्र व अन्य प्रतियोगी छात्रों ने सरकार के इस फैसले को चुनौती दी है। उनके अधिवक्ता सीमांत सिंह ने कहा कि इंटरमीडिएट एक्ट 1921 की धारा 16 ई(11) के तहत अस्थायी शिक्षक रखने का प्रावधान सिर्फ छह माह के लिए है। राज्य सरकार इसका उल्लंघन करके 11 महीने के लिए संविदा पर रिटायर अध्यापकों को नियुक्त कर रही है। याचिका में कहा गया है कि सरकार की मंशा स्थायी शिक्षक भर्ती को अवरुद्ध की प्रतीत हो रही है।