अलीगढ़ : 80 करोड़ की छात्रवृत्ति में छात्रों का रिकॉर्ड गायब
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ : सपा सरकार में एससी (अनुसूचित जाति ) के छात्रों को बांटी गई छात्रवृत्ति में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) की तीन सदस्यीय टीम को प्राथमिक जांच में दर्जनों कॉलेजों के हजारों छात्रों का रिकॉर्ड गायब मिला है। स्कूल संचालकों को ये तक नहीं पता है कि छात्रवृत्ति किसे दी गई। पांच साल में 70 हजार छात्रों को 80 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांटी गई।
पांच साल : जिले में बीते पांच साल में सपा सरकार के दौरान दशमोत्तर (हाईस्कूल से ऊपर) के अनुसूचित जाति के करीब 70 हजार छात्रों को 80 करोड़ की छात्रवृत्ति का आवंटन किया गया। इसमें दर्जनों कॉलेजों ने फर्जी छात्रों के नाम से छात्रवृत्ति हड़प ली। कई कॉलेजों की जिला स्तर पर शिकायत भी पहुंची, लेकिन जांच में लीपापोती कर दी गई।
कैग को जिम्मेदारी : सूबे के कुछ जिलों से शिकायत केंद्र सरकार तक पहुंच गईं। केंद्र ने माना कि उत्तर प्रदेश में 2012 से 2017 के बीच बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति आवंटन में घपला हुआ है। पात्रों को योजना का लाभ नहीं मिला तो अपात्रों के नाम से सरकारी धन जारी कर दिया गया। सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने सत्र 2012- 13 से लेकर 2016- 17 तक अनुसूचित जाति दशमोत्तर छात्रवृत्ति के परफॉर्मेस ऑडिट के आदेश दिए। जांच की जिम्मेदारी कैग को दी गई।
रिकॉर्ड मिल रहा गायब :
कैग की तीन सदस्यीय टीम ने यहां जांच शुरू कर दी है। टीम को जांच में चौकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं। दर्जनों स्कूलों में अनुसूचित जाति के छात्रों को बांटी गई छात्रवृत्ति ही नहीं है। इन स्कूलों में हजारों छात्रों को लाखों रुपये बांटे गए हैं। सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा अतरौली व इगलास क्षेत्र में सामने आ रहा है। टीम के सदस्यों ने इन स्कूलों के संचालकों को जल्द रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा है।
जांच का तरीका : टीम फर्जीवाड़ा खोलने के लिए गहनता से जांच कर रही है। टीम ने पहले जिला स्तर के अफसरों से पांच साल छात्रवृत्ति का डाटा लिया है, फिर वह स्कूलों में जाकर वहां से अभिलेख देख रही है। अभिलेखों के आधार पर छात्रों के घर पहुंच कर जानकारी ले रही है।
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अनुसूचित जाति दशमोत्तर छात्रवृत्ति की कैग की टीम ने जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक जांच में कुछ कॉलेजों में खामियां मिली हैं। रिकॉर्ड गायब होने पर स्कूल संचालक के खिलाफ कार्रवाई होगी।
नगेंद्र पाल सिंह, समाज कल्याण अधिकारी