नई दिल्ली : पत्नी को साथ रखने का दबाव नही डाल सकती है अदालत'
‘पत्नी को साथ रखने का दबाव नहीं डाल सकती है अदालत’
अहम फैसला
नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट ने पति और पत्नी के बीच होने वाले कानूनी विवादों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि देश की कोई भी अदालत किसी पति को अपनी पत्नी को साथ रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकती। न ही पति पर किसी भी प्रकार का कानूनी दबाव बनाया जा सकता है। कोर्ट ने पेशे से पायलट और उसकी पत्नी के मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। 1इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस जमानत आदेश को बहाल कर दिया, जिसे पति द्वारा सुलह समझौता मानने से इन्कार करने से रद कर दिया गया था। दरअसल, पायलट पति पर दहेज के लिए परेशान करने समेत आइपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिसमें पत्नी और बच्चे को साथ रखने का समझौता करने की शर्त पर उसे जमानत मिली थी। हालांकि बाद में पति ने उन्हें साथ रखने से इन्कार कर दिया। इस पर मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने 11 अक्टूबर को पति की अंतरिम जमानत अर्जी रद कर दी। कोर्ट का कहना था कि पति ने शिकायतकर्ता के साथ समझौता किया, लेकिन वादे से मुकर गया। 1जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा, ‘हम किसी भी पति को अपनी पत्नी को साथ रखने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। यह एक मानवीय रिश्ता है। आप (पति) निचली कोर्ट में दस लखा रुपये जमा कराएं। 1’>>सुप्रीम कोर्ट ने एक पायलट और उसकी पत्नी के मामले में दी व्यवस्था1’>>पति को निचली कोर्ट में दस लाख रुपये जमा करने का दिया आदेश