पानीपत : इस सरकारी स्कूल में अंग्रेजी माध्यम में होती है पढ़ाई, नौवीं से बारहवीं तक अंग्रेजी माध्यम में लगती हैं अलग कक्षाएं
पानीपत । कहने को तो ये एक सरकारी स्कूल है, लेकिन शिक्षकों की सूझ-बूझ और कर्तव्यनिष्ठा ने इसे आम सरकारी स्कूलों से अलग ला खड़ा किया है। हरियाणा के पानीपत स्थित तहसील टाउन का यह सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूल अच्छे खासे पब्लिक स्कूलों को पीछे छोड़ता नजर आ रहा है। स्कूल में पढ़ाई का स्तर, शिक्षकों की सक्रियता और बेमिसाल अनुशासन के अलावा कक्षा नौ से बारहवीं तक यहां लगने वाली अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं इसे विशिष्टता दे रही हैं। यह अभिनव प्रयोग यहां के शिक्षकों ने स्वयं शुरू किया, जो अब एक नजीर के रूप में सामने है।
कैसे किया बदलाव: यहां शुरुआती कक्षाओं से ही बच्चों की अंग्रेजी भाषा का स्तर सुधारा गया। शुरुआती कक्षाओं से ही गणित और विज्ञान विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया। बच्चों के कक्षा नौ में पहुंचने पर गणित, विज्ञान और अंग्रेजी माध्यम में मजबूत हो चुके बच्चों का चयन कर, इनके लिए अलग कक्षाएं बना दी गईं। इन कक्षाओं में पूर्णत: अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराई जाती है। साथ ही गणित और विज्ञान विषयों में भी बच्चों को और भी कुशल बनाने का प्रयास किया जाता है।
हर सरकारी स्कूल में होना चाहिए लागू: यह अपने किस्म का एक बेहतरीन उदाहरण है। दरअसल, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों में बच्चों की दक्षता आज एक अनिवार्यता सी बन गई है। इस मामले में सरकारी स्कूल के बच्चे पिछड़ जाते हैं। इसके कई कारण हैं। तो यह कि सरकारी स्कूलों में अधिकांशत: निम्न, निम्न मध्यम और वंचित वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। जिनके परिजनों में भी शिक्षा को लेकर जागरूकता का स्तर कम ही होता है। दूसरा, सरकारी स्कूलों में ठेठ हंिदूी माध्यम में पढ़ाई होती है। घर और स्कूल में अपेक्षित मार्गदर्शन और माहौल न मिलने के कारण प्राथमिक-माध्यमिक स्तर पर ही अधिकांश बच्चे अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों में पिछड़ जाते हैं। पानीपत के उक्त सरकारी स्कूल ने इस समस्या का बेहतरीन समाधान ढूंढ निकाला है। अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों में शुरुआत से ही बच्चों की बुनियाद मजबूत बनाने पर उन्होंने ध्यान दिया। उसके बाद माध्यमिक स्तर पूरा करते ही उन बच्चों को अलग चुन लिया, जो अंग्रेजी, गणित और विज्ञान में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल हुए। नौंवी से इनके लिए अलग कक्षाएं बना दीं। ताकि वे दसवीं में अच्छे अंक लाकर ग्यारहवीं में विज्ञान विषय में आगे बढ़ सकें। और फिर बारहवीं के बाद इंजीनियरिंग, मेडिकल, कंप्यूटर साइंस जैसी विधाओं में आगे बढ़ने के लिए विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में कड़ी प्रतियोगिता का सामना कर सकें।
सुलेख सर को सलाम : पानीपत के सरकारी स्कूल में इस शानदार का श्रेय स्कूल के शिक्षक और पूर्व प्रभारी प्राचार्य अनिल सुलेख को दिया जा सकता है, जिन्होंने अंग्रेजी और विज्ञान में पिछड़ रहे बच्चों के लिए यह कमाल की युक्ति ढूंढ निकाली।