एटा : विभाग की मिलीभगत से होता रहा है फर्जीवाड़ा, परिषदीय विभाग में मां लक्ष्मी की मेहरबानी से बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा होता रहा
जागरण संवाददाता, कासगंज: परिषदीय विभाग में मां लक्ष्मी की मेहरबानी से बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा होता रहा है। जिले में 100 शिक्षकों के ही दस्तावेज फर्जी नहीं है बल्कि पूर्व में भी फर्जी अंक पत्रों पर डेढ़ दर्जन शिक्षक नौकरी पा चुके हैं और विभाग बिना सत्यापन के ही भुगतान करता रहा। इनसे आज तक रिकवरी के लिए भी कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
प्रदेश में चार हजार शिक्षक फर्जी पाए गए तो सरकार ने वर्ष 2004 के बाद चयनित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच शुरू कराई। जिले में यह जांच पूरी हुई है तो सौ से अधिक शिक्षक फर्जी पाए गए। जिन्हें शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी कर कारण जाना है। इन फर्जी शिक्षकों से वेतन की रिकवरी भी होगी। यहां बताते दें कि शासन का रूख देख विभाग ने इन फर्जी शिक्षकों को खोज निकाला, लेकिन जिले में बड़े स्तर पर फर्जी नियुक्ति होती रही हैं। वे भी अधिकारियों की नजर में और उनकी ही कलम से। वर्ष 2010 में कासगंज में आधा दर्जन शिक्षकों को नियुक्ति दी गई और बिना सत्यापन के ही दो माह के अंतराल में इनको वेतन दिया जाता रहा। यहां तक इन फर्जी शिक्षकों में से दो शिक्षकों को पटियाली विकासखंड में प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया और इनको लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मिड डे मिल की कन्वर्जन कॉस्ट दो-दो बार दी गई। जब एक साल बाद जिला प्रशासन ने शिकायत पर जांच कराई तो प्रारंभिक अवस्था में ही जांच में दबा दिया गया। तत्कालीन डीएम के. विजयेंद्र पांडियान ने पांच माह पहले इन सभी फर्जी शिक्षकों पर एफआइआर दर्ज कराई उसके बाद तो वे विभाग के इशारे पर भूमिगत हो गए। न तो विभाग ने इन शिक्षकों से रिकवरी का कोई आदेश जारी किया और न ही इन्हें कोई नोटिस दिया गया। विभागीय स्तर पर यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
वर्ष 2012 में भी फर्जी नियुक्ति
फर्जी नियुक्तियों का सिलसिला थमा नहीं बल्कि रफ्तार पकड़ता गया। वर्ष 2012 में डायट प्राचार्य को गुमराह कर जिले में दर्जन भर शिक्षकों को नियुक्ति दी गई और इनके दस्तावेज फर्जी थे। इन्हें भी बिना सत्यापन के भुगतान दिया गया। एक साल तक इन सब को लाभ पहुंचाया गया। बाद में एफआइआर तक ही कार्रवाई सिमट कर रह गई।
जांच में घिरे है कई जिम्मेदार:
विभागीय स्तर से भले ही फर्जी नियुक्ति की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई हो, लेकिन पुलिस भी अभी जांच कर रही है। तत्कालीन बीएसए रघुवीर सिंह को नोटिस भी भेजा जा चुका है और भी कई जिम्मेदार जांच में घिरे हुए हैं।
शिक्षक जगत में हड़कंप: हाल ही में कराई गई जांच में फर्जी पाए गए सौ से अधिक शिक्षकों को नोटिस भेजा चुका है, लेकिन अभी तक किसी भी शिक्षक को नोटिस नहीं मिला है। ऐसे में पूरे शिक्षक जगत में हड़कंप मचा हुआ है कि आखिर किस किस के दस्तावेज फर्जी पाए गए है।
बेखौफ करते रहे नौकरी: कासगंज में जो शिक्षक फर्जी पाए गए हैं, उसमें तमाम ऐसे हैं, जिन्होंने जान कर फर्जी दस्तावेज लगाए। एक ही अनुक्रमांक दो दो मार्कशीट पाई गई है। इन शिक्षकों ने विभागीय कर्मचारियों से सांठगांठ कर दस्तावेजों में हेरा फेरी कराई। और बेखौफ हो नौकरी करते रहे, लेकिन अब तलवार लटक गई है।
सप्ताह भर में होगी कार्रवाई:
सभी फर्जी शिक्षकों को नोटिस भेज दिए गए हैं। सप्ताह भर में जवाब आ जाएगा। जिन शिक्षकों ने भी हेराफेरी की है उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। गीता वर्मा, बीएसए