इलाहाबाद : आयोग की परीक्षा, दावा कमजोर कर रहीं आयोग की अशुद्धियां
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग के शुद्धिकरण का दावा प्रदेश शासन तो कर रहा है और वास्तव में शासन की यही मंशा भी है लेकिन, अशुद्धियों की छाप आयोग पर अब भी लगी है। बैकलॉग के रिजल्ट जारी करने में ही आयोग ने प्रतियोगी छात्रों की सराहना बटोरी जबकि पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2017 के लिए गठित विशेषज्ञ टीम पर उठी अंगुली, उत्तर कुंजी जारी करने व नए वर्ष का परीक्षा कैलेंडर बनाने में लेटलतीफी के चलते आयोग प्रतियोगी छात्रों के भरोसे पर खरा नहीं उतर रहा है।
परीक्षा कैलेंडर की अनियमितता
नवंबर का आखिरी सप्ताह शुरू हो चुका है, लेकिन फिर भी अभी तक 2018 के परीक्षा कैलेंडर की उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से अभी प्रतियोगी छात्रों को कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। छात्र इस पशोपेश में हैं कि पीसीएस और लोअर सबऑर्डिनेट सहित अन्य बड़ी परीक्षाओं की तैयारी किस ‘टाइम लाइन’ से करें। कुछ छात्रों का तो यहां तक कहना है कि अक्सर तारीखें बदल दी जाती हैं इसलिए परीक्षा कैलेंडर से कोई लाभ भी नहीं मिलता।
’>>यूपीपीएससी से होने वाली भर्तियों की सुचिता अब भी ताख पर
’>>प्रतियोगी छात्रों की नजर में आयोग की व्यवस्थाएं पुराने र्ढे पर
आयोग अगर एक्ट के अनुसार चलेगा तो कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती। एक्ट यह कहता है कि कोई भी निर्णय चेयरमैन सहित सभी सदस्यों की बैठक में लिए जाएं। अगर किसी बिंदु पर एक्ट खामोश है तो उस पर भी आयोग की कमेटी को निर्णय लेने का अधिकार है। रही बात किसी परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी करने की तो उत्तर कुंजी तभी बन जाती है जब परीक्षक प्रश्न पत्र बनाते हैं। कायदे से इसे परीक्षा के चार-पांच दिनों बाद जारी कर देना चाहिए। परीक्षा कैलेंडर भी समय से जारी होना चाहिए ताकि छात्रों की तैयारी सही समय से हो सके। यही शुद्धिकरण है।’
प्रो.केबी पांडेय, पूर्व चेयरमैन यूपीपीएससी
अंकों का गड़बड़झाला
आयोग ने आरओ एआरओ परीक्षा 2014 में परीक्षार्थियों को जिस प्रकार से किसी को 60 में 60 और किसी को 60 में शून्य अंक दिए थे उससे परीक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठे थे। क्योंकि जिन परीक्षार्थियों ने कई प्रश्नों के उत्तर गलत दिए उन्हें भी शत प्रतिशत अंक मिले। वहीं आरओ एआरओ परीक्षा 2016 की परीक्षा में पेपर लीक प्रकरण अब भी कोर्ट में विचाराधीन है।
विशेषज्ञों पर सवाल
आयोग ने पीसीएस 2017 प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र विशेषज्ञों से बनवाया और इसकी उत्तर कुंजी जारी करने में 54 दिन लगा दिए। उस पर भी आयोग ने दोनों प्रश्न पत्रों में मिलाकर छह प्रश्नों को गलत मानते हुए स्वयं ही हटाया। इसके बाद भी जारी उत्तर कुंजी में प्रतियोगियों ने आठ उत्तरों को साक्ष्यों सहित गलत ठहराया है। इससे विशेषज्ञों पर सवाल उठना लाजिमी है।
भर्तियों की सीबीआइ जांच को पथराई आंखें
सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में 19 जुलाई को एलान किया था कि सपा शासन के पांच साल में आयोग से हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराई जाएगी। इस एलान से उन सैकड़ों प्रतियोगी छात्रों ने बेहद खुशी जताई थी जिन्होंने आयोग की भर्तियों में धांधली का आरोप लगाकर महीनों आंदोलन किया और उन पर लाठी से लेकर पुलिस की गोलियां तक चली थीं। अब चूंकि चार महीने बीत जाने पर भी सीबीआइ जांच का अता-पता नहीं है इसलिए प्रतियोगी छात्रों में आक्रोश की चिंगारी पुन: पनप रही है।