इलाहाबाद : परीक्षा केंद्र निर्धारण में यूपी बोर्ड अफसरों पर उठे सवाल, लाख जतन के बाद भी परीक्षा केंद्र निर्धारण में धांधली के आरोप
सीटिंग क्षमता के आधार पर नंबर देने में हुआ ‘खेल’
हमेशा की तरह इस बार भी वित्त विहीन विद्यालयों को मिला लाभ
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद। माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) 2018 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए ऑनलाइन केंद्र निर्धारण में जमकर मनमानी हुई। यही वजह रही कि सरकार के दावे के विपरीत राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय के बजाए वित्त विद्यालय ज्यादा परीक्षा केंद्र बनाए गए। अब यूपी बोर्ड मुख्यालय के अफसरों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि अपर मुख्य सचिव ने मंगलवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) माध्यमिक एवं जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिया कि केंद्र आवंटन में किसी तरह की गड़बड़ी सामने आने या आपत्ति की स्थिति में राजकीय और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाए लेकिन अब ऐसा होने की उम्मीद काफी कम है।
प्रदेश में कुल 1910 राजकीय, 4531 अशासकीय सहायता प्राप्त तथा 17901 वित्त विहीन विद्यालय हैं। परीक्षा केंद्र को ऑनलाइन निर्धारण करने की निर्णय होने के बाद विद्यालयों ने मूलभूत सुविधाओं के हिसाब से इसके लिए आवेदन किए। परिषद की वेबसाइट पर डाटा फीडिंग के बाद विद्यालयों को मूलभूत सुविधाओं और सीटिंग क्षमता के आधार पर नंबर दिए गए। अब आरोप लगा रहा है कि नंबर देने में ही यूपी बोर्ड मुख्यालय के अफसरों ने खेल किया और वित्त विहीन विद्यालयों को फायदा पहुंचाया। अकेले इलाहाबाद में काफी विद्यालयों को नंबर आवंटन में मनमानी की गई। कई इंटरमीडिएट विद्यालयों में 490 सीटिंग क्षमता पर बोर्ड ने 10, 15 और 25 अंक दिए जबकि 500 सीटिंग क्षमता पर किसी विद्यालय को 10 तो किसी को शून्य अंक दिए गए। जिन विद्यालयों को अधिक अंक दिए गए, उनमें ज्यादातर वित्त विहीन ही हैं। यही हाल प्रदेश के अन्य जिलों का है। जिस पर अब अशासकीय विद्यालयों के प्रधानाचार्य सवाल उठा रहे हैं।
आरोप लगाया जा रहा है कि यूपी बोर्ड मुख्यालय के अफसरों की मनमानी के कारण ही प्रदेश में सबसे अधिक 4243 वित्त विहीन विद्यालय परीक्षा केंद्र बन गए, जबकि मात्र 377 राजकीय और 3437 अशासकीय विद्यालय परीक्षा केंद्र बने। यह गड़बड़ी सामने आने के बाद अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को पत्र जारी कर सचिव को केंद्रों के निर्धारण की प्रक्रिया जल्द पूरी करने का निर्देश दिया। इसके बाद सचिव ने उसी दिन सभी डीआईओएस को पत्र जारी कर आपत्तियां लेने के बाद उनका निस्तारण कर 27 नवंबर तक परिषद की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया। डीआईओएस भी मान रहे हैं कि बोर्ड मुख्यालय से सीटिंग क्षमता में गड़बड़ी होने के कारण ही वित्त विहीन विद्यालयों को फायदा मिला। हालांकि बोर्ड के अफसर इसे बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।