इलाहाबाद : लोक सेवा आयोग, चक्रवृद्धि ब्याज का सवाल बनाने में चूके विशेषज्ञ
हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । लोक सेवा आयोग की पीसीएस प्री जैसी अहम और प्रतिष्ठित परीक्षा का पेपर तैयार करने वाले विशेषज्ञ चक्रवृद्धि ब्याज का सवाल तैयार करने में चूक गए। आयोग ने सामान्य अध्ययन (जीएस) द्वितीय प्रश्न पत्र के जिन पांच प्रश्नों को गलत होने के कारण हटाया है, उनमें से एक सवाल चक्रवृद्धि ब्याज का भी है।
इस सवाल में पूछा गया है कि एक निश्चित राशि चक्रवृद्धि ब्याज से अपने की तीन गुनी हो जाती है, कितने वर्ष बाद नौ गुनी हो जाएगी? उत्तर विकल्प में छह वर्ष, आठ वर्ष, नौ वर्ष और 12 वर्ष दिया गया था। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि इस प्रश्न में आयोग समय का उल्लेख करना भूल गया। लिहाजा प्रश्न गलत हो गया। जो चार अन्य प्रश्न हटाए गए हैं, उनमें से भी एक प्रश्न गणित का है जबकि बाकी के तीन प्रश्नों में दो रिजनिंग और एक प्रश्न अंग्रेजी का है। आयु गणना संबंधी गणित का दूसरा प्रश्न भी गलत बनाया गया है। वही रिजनिंग के दो प्रश्नों में क्रम संबंधी प्रश्न के विकल्पों में सही उत्तर ही नहीं दिया गया है।
इन प्रश्नों के गलत होने और आयोग द्वारा उत्तर कुंजी जारी होने के साथ प्रतियोगियों द्वारा सात अन्य प्रश्नों के उत्तर पर आपत्ति उठाए जाने के बाद पेपर तैयार करने वाले आयोग के विशेषज्ञों की योग्यता पर संदेह उठना लाजमी है। प्रतियोगी जिन सात प्रश्नों पर आपत्ति कर रहे हैं, उनमें से दो प्रश्नों को गलत बताते हुए उसे हटाने की मांग की जा रही है। प्रतियोगी छात्रों ने तैयारी कर ली है। सोमवार को उनकी ओर से आयोग में साक्ष्य सहित आपत्तियां दर्ज कराई जाएंगी।
*प्रिंटिंग में भी हो जाती है चूक*
आयोग के सूत्रों का कहना है कि गलती के लिए सिर्फ पेपर तैयार करने वाले विशेषज्ञ ही जिम्मेदार नहीं हैं। कई बार मॉडरेशन के उपरांत पेपर की प्रिंटिंग के वक्त टाइपिंग में प्रश्न का कोई अहम हिस्सा छूट जाने से भी प्रश्न गलत हो जाता है।
*मानदेय बढ़े तो मिलें योग्य विशेषज्ञ*
पेपर तैयार करने से लेकर इंटरव्यू तक के लिए आयोग को योग्य विशेषज्ञ नहीं मिल पा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है आयोग के की ओर से द्वारा दिया जाने वाला कम मानदेय। आयोग द्वारा दिए जाने वाले मानदेय की राशि काफी पहले निर्धारित की गई थी। सपा शासनकाल के दौरान आयोग की भर्तियों में अनियमितता और गड़बड़ी की शिकायतों के बाद भी अच्छे विशेषज्ञों ने आयोग से मुंह मोड़ लिया। बहरहाल, आयोग की ओर से मानदेय वृद्धि का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। शासन स्तर से सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद भी अब तक मानदेय में वृद्धि नहीं हो सकी है।