गोरखपुर : अतिशय प्रयोगवाद का शिकार है शिक्षा, नष्ट हो रहा कक्षा का मूल स्वरूप
गोरखपुर : उच्च शिक्षा अतिशय प्रयोगवादिता की शिकार हो गई है। आज शोध - अनुसंधान में एपीआइ के बदलते मानक जहा एक ओर इसकी उपादेयता को संदिग्ध बना रहे हैं वहीं दूसरी ओर हमारे शिक्षण तंत्र में टॉपर बनने की मानसिकता के अतिरेक के कारण हमारे विद्यार्थी अवसाद का शिकार होकर आत्मघाती बन रहे हैं, इसलिए हमें इस बात को गंभीरता से समझना होगा कि हम रोजगार पाने के लिए रोबोट बनाने की अपेक्षा स्वावलंबी और स्वाभिमानी पीड़ा बनाने का प्रयास करें।
उपरोक्त विचार दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में दर्शनशास्त्र विभाग एवं शिक्षक महासंघ द्वारा आयोजित 'भारतीय उच्च शिक्षा : यथार्थ एवं आकाक्षाएं' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने व्यक्त किया।
मुख्य अतिथि डा. राम मनोहर लोहिया अवध विवि के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि वर्तमान परिवेश में उच्च शिक्षा की बिगड़ती स्थिति का मूल्याकन यदि करना है तो हमें महाविद्यालयों के स्तर से आरंभ कर विश्वविद्यालय स्तर तक जाना होगा। हमने कक्षाओं में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए छात्रों पर दबाव पैदा करने वाले और उन्हें मजबूर करने वाली व्यवस्थाएं तो अपना लीं, लेकिन कक्षा में उठने वाली जिज्ञासाओं का सामना करने का साहस अध्यापकों में कब पैदा करेंगे यह सोचने वाली बात है। उच्च शिक्षा यदि समाजोपयोगी न हो तो वह बेकार है। यदि कक्षाओं में पढ़ाए जाने वाले वैश्रि्वक सिद्धातों की स्थानीय उपादेयता कुछ भी न हो तो यह हमारे लिए खेद की बात है।
इससे पहले समापन सत्र में आगंतुक अतिथियों का स्वागत अभिनंदन करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग के प्रो. सुशील तिवारी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों पर हुए गंभीर मंथन पर संतोष व्यक्त किया। अंतिम तकनीकी सत्र में बड़ी संख्या में शोधार्थियों ने अपने शोधपत्रों का वाचन किया। इस सत्र की अध्यक्षता तिलका माझी विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व कुलपति प्रो. आरएस दुबे ने की। सत्र का संचालन महासंघ के उपाध्यक्ष प्रो. रविशकर सिंह ने किया जबकि आभार ज्ञापन संयुक्त सचिव प्रो. वीएस वर्मा ने किया।
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नष्ट हो रहा कक्षा का मूल स्वरूप : प्रो. रजनीकांत
सभा में विशिष्ट अतिथि उपस्थित सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के कुलपति प्रो. रजनीकात पांडेय ने इस अवसर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तकनीकी विकास के नाम पर आज हम कक्षा के मूल स्वरूप को लगभग समाप्त कर रहे हैं। हमारे समक्ष इसी कारण से आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मूल्य और सामाजिक व्यवहार का बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है।
शिक्षा में है समस्याओं का समाधान : प्रो. योगेंद्र
जननायक चन्द्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय, बलिया के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने कहा रोजगारपरकता पर शुरू से ही अतिशय बल देने के कारण आज हमने मूल्यों को विस्मृत कर दिया है। आज हमें यह गंभीरता से समझने की आवश्यकता है कि विश्व की समस्त गंभीर चुनौतियों का समाधान शिक्षा में ही निहित है।
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