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गोरखपुर : अधिकारियों की जांच के बाद भी परिषदीय बच्चों के पास पहुंची गलत किताब

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गोरखपुर : अधिकारियों की जांच के बाद भी परिषदीय बच्चों के पास पहुंची गलत किताब

जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपर । शासन व जिला स्तर के अधिकारियों की जांच के बाद भी परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक के बच्चे एक माह से अंग्रेजी की गलत वर्णमाला पढ़ रह हैं। शिक्षक रोज पढ़ा रहे हैं लेकिन किताब में छपी खामियां पकड़ नहीं पा रहे हैं। किताब में अंग्रेजी की वर्णमाला में एम, एन, ओ, पी से पहले क्यू, आर, एस, टी लिखा है।

लापरवाही

कक्षा एक की किताब ‘कलरव’ में अंग्रेजी वर्णमाला में हैं खामियां

एम, एन, ओ, पी से पहले ही लिखा है  क्यू, आर, एस, टी

शासन व जिला स्तर के चयनित अधिकारियों द्वारा की जाती है किताबों की जांच

डीएम की चार सदस्यीय टीम भी नहीं पकड़ सकी यह गलती

कक्षा एक के छात्रों के लिए शासन की तरफ से ‘कलरव’ की निशुल्क किताब मुहैया कराई गई है। इस किताब में सभी विषयों को थोड़ी-थोड़ी जगह दी गई है। इसी में अंग्रेजी विषय को भी जगह मिली है। कलरव में अंग्रेजी विषय के 12 लेशन हैं। पहला लेशन पेज संख्या 96 में लेट्स टॉक है। दूसरा लेशन पेज संख्या 97 से 103 तक में अंग्रेजी की वर्णमाला है। इसमें पेज संख्या 99 तक प्रकाशित अंग्रेजी की वर्णमाला सही है लेकिन पेज संख्या 100 और 101 में प्रकाशित वर्णमाला गलत छपी है।

अंग्रेजी वर्णमाला सही क्रम के हिसाब से पहले एम, एन, ओ, पी होना चाहिए लेकिन किताब में क्यू, आर, एस, टी है। नन्हें-मुन्हें बच्चे  किताब में छपी गलत वर्णमाला पढ़ रहे हैं। इसके बाद पेज संख्या 103 में भी प्रकाशित वर्णमाला में इसी प्रकार से कुछ शब्दों को दो-दो बार लिख दिया गया है। हालांकि यह किताब शासन से लेकर निचले क्रम तक के अधिकारियों के निरीक्षण के बाद ही बच्चों तक पहुंचती है। इसके बाद भी किसी अधिकारी द्वारा किताब में प्रकाशित यह गलती नहीं पकड़ी गई और बच्चों तक यह किताबें पहुंच गई।
किताब छापने के लिए शासन से तय होती फर्म
परिषदीय स्कूलों के बच्चों में निशुल्क दी जाने वाली किताबों की छपाई के लिए शासन स्तर पर फर्म का आवंटन किया जाता है। इसमें एक फर्म के पास करीब 8 से 10 जिलों की जिम्मेदारी होती है। गोरखपुर मण्डल में पहुंची किताबों की जिम्मेदारी गाजियाबाद की एक फर्म को दी गई थी।

जहां की फर्म वहां के अधिकारी करते है जांच
किताब की छपाई के पहले फर्म हर विषय की किताबों को नमूने के तौर पर छापती है। इसकी जांच जिला स्तर से बेसिक शिक्षा विभाग के एडी बेसिक व बीएसए करते हैं। वह पूरी किताब पढ़ने के बाद अपना हस्ताक्षर और मुहर लगाते हैं। इसके बाद किताबे छपनी शुरू होती हैं। छपाई के बाद नमूना सहित हर जिलों में भेजा जाता है। जहां पर एक बार फिर कुछ किताबों की जांच होती है। फिर उन्हें बीआरसी केन्द्रों पर भेजा जाता है। जहां से प्रधानाध्यापक अपने-अपने विद्यालय के लिए ले जाते हैं।

जिले की जांच टीम भी नहीं पकड़ सकी गलती
फर्मो द्वारा किताब छपाई और वहां के अधिकारियों की जांच के बाद जिले में डीएम के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच टीम भी उसे देखती है। इसमे बीएसए, डायट प्राचार्य द्वारा नामित सदस्य और जिलाधिकारी द्वारा नामित दो सदस्य किताबों की जांच करते हैं और फिर किताबें बीआरसी केन्द्रों को वितरीत की जाती हैं।

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