बस्ती : सदमे में चली गयी शिक्षा मित्र की जान, दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत, समायोजन रद्द होने के बाद से ही चल रहे थे तनावग्रस्त।
कुदरहा, बस्ती। शिक्षा मित्र समायोजन रद्द होने से चिंतित चल रहे ब्लाक कुदरहा के भगतुपुर निवासी द्वितीय बैच में प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर पर समायोजित शिक्षा मित्र सतीश चंद्र श्रीवास्तव(48) का बृहस्पतिवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
घर वालों के मुताबिक सतीश की तवियत 25 जुलाई को कोर्ट का निर्णय आने के बाद से ही विगड़ी थी। जिला चिकित्सालय से उनका इलाज चल रहा था। बुधवार को अचानक स्थिति नाजुक देख लखनऊ ले जाया गया जहाँ इलाज के दौरान बृहस्पतिवार की शाम दम तोड़ दिया।
सतीश चंद्र वर्ष 2006 में प्राथमिक विद्यालय रैनिया में शिक्षा मित्र के रूप में तैनात हुए। मई 2015 में उनका समायोजन सहायक अध्यापक पद पर कुदरहा ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर में हुआ। परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी सतीश पर ही थी वह अपने पीछे पत्नी कृष्णबाला(45), बेटी श्रेया(15), मेहर(13), पलक(11), बेटा श्रेयम (8) छोड़ गए हैं। सर से पिता का साया उठता देख परिवार के सदस्यों व बच्चों का रो रो कर बुरा हाल है। आठ वर्षीय बेटे श्रेयम ने जब पिता को मुखाग्नि दी उस वक्त उपस्थित लोगों ने अपने आंसुओं को नहीं रोक पाया।
आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोशिएसन जिलाध्यक्ष आनंद दूबे ने परिवार के सदस्यों को घर पहुँच ढाढ़स बंधाया। संघ अध्यक्ष श्री दूबे ने शासन से मांग किया कि परिवार के सदस्यों को 10 लाख मुवाजे के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाय और शिक्षा मित्र मुद्दे पर शासन व सरकार से रचनात्मक पहल की मांग की जिससे शिक्षा मित्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
शिक्षा मित्र के आकस्मिक मौत की खबर सुन समायोजित शिक्षकों में शोक की लहर दौड़ गई। शोकाकुल परिवार के दुःख में शामिल होने के लिए शिक्षकों व शिक्षा मित्रों का ताँता लगा रहा। खंड शिक्षा अधिकारी कुदरहा जगदीश यादव ने परिवार के सदस्यों को घर पहुँच कर आर्थिक सहयोग प्रदान करते हुए ढाढ़स बंधाया। शिक्षक ब्रह्मदेव पाण्डेय, संजीव शर्मा, डॉ0 सुनील यादव, लालजी चौधरी, विश्वम्भर नाथ दूबे, राम पराग चौधरी, बरसाती यादव, प्रदीप दूबे, राधेश्याम, हरिश्चंद्र तिवारी, रवि पाल, रमेश चौधरी, संतराम, रफीक अहमद, लाल जी, रोशन लाल, राहुल सिंह, सुभम श्रीवास्तव, कुलदीप गौड़ सहित बड़ी संख्या में लोग परिवार के दुःख में सरीक हुए।