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फतेहपुर : दीवारों में लिखे स्लोगन ने एक शिक्षक के मन को इस तरह झकझोरा कि उन्होंने अपना जीवन ही पर्यावरण संरक्षण में समर्पित कर दिया, हरियाली के जुनून में माली बन गए शिक्षक

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फतेहपुर : दीवारों में लिखे स्लोगन ने एक शिक्षक के मन को इस तरह झकझोरा कि उन्होंने अपना जीवन ही पर्यावरण संरक्षण में समर्पित कर दिया, हरियाली के जुनून में माली बन गए शिक्षक


जागरण संवाददाता, फतेहपुर : दीवारों में लिखे स्लोगन ने एक शिक्षक के मन को इस तरह झकझोरा कि उन्होंने अपना जीवन ही पर्यावरण संरक्षण में समर्पित कर दिया। हरियाली के जुनून में महात्मा गांधी इंटर कालेज जोनिहां के शिक्षक माली बन गए है। पिछले बीस साल से वह खाली पड़ी जमीन पर पौध लगाने का कार्य कर रहे है। शिक्षक के इस जुनून से क्षेत्र लोग कायल है। पौधों की रखवाली के लिए बच्चों की फौज भी तैयार कर ली है।

एक वृक्ष सौ पुत्र सामान से मिली प्रेरणा

- ¨बदकी तहसील के मेउन गांव के शिक्षक रमेश बताते है कि इलाहाबाद में रहकर वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे उसी दौरान दीवारों में एक वृक्ष सौ पुत्र सामान का स्लोगन पढ़ा तो मन में आया कि पौध लगाया जाए। सबसे पहले बड़े भाई से बात कर अपने खेत में देशी आम व कटहल के पौध लगाए। अब तो यह पौध फल देने लगे है। इसके बाद वह गांव की खाली पड़ी जमीनों, स्कूल के मैदान में पौध लगाने लगे। वर्ष 1989-90 से अब तक तकरीबन 20 से 25 हजार पौध लगाए है। अविवाहित शिक्षक का कहना है कि फल दे रहे पौधों को देखकर लगता है कि यही मेरा कुटुंब है।

कुदाली, खुरपी साथ लेकर चलते

महीने में पचास हजार का वेतन उठाने वाले शिक्षक को देखकर कोई यह नहीं कह सकता है कि यह शिक्षक है, साथ में कुदाली व खुरपी लेकर चलते है। अधिकारियों के बंगले से लेकर स्कूल के मैदान, पंचायत घर कार्यालयों में जहां खाली जमीन देखते है, पौध लगा देते है। कोई पौधा सूखता देखते है तो उसमे पानी डालने, निराई-गुड़ाई का काम कर देते है। पिछले तीन से वह आन डिमांड पौध लगाना शुरू कर दिया है। जमीन मालिक से खुद पूछते है कि कौन सा पौध लगाना चाहते हो, उसके बताने पर नर्सरी से पौध खरीद कर ले आते और लगा देते है। वह कहते है कि आन डिमांड पौध लगाने से उसकी रखवाली अच्छी तरह से हो जाती है। अपने लगाए पौधे का हाल-चाल लेने वह दो से तीन माह में एक बार पहुंचते है।

खरीद कर लगाते ट्री गार्ड

प्रदूषण से मानव जीवन पर बढ़ रहे खतरे के प्रति शिक्षक हर किसी को सजग कर पौध लगाने की सीख देते है। सड़क किनारे व सार्वजनिक स्थान पर यदि किसी पौधे की ¨जदगी खतरे में देखते है तो अपने पास से ट्री गार्ड खरीद कर लगा देते है। अब तक दो सौ से अधिक ट्री गार्ड लगाए। ग्रामीण क्षेत्र में पौधों की सुरक्षा के लिए थलहा बना उसके चारों ओर कंटीले पेड़ लगाते है।

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