फतेहपुर : तंगहाल जीजीआइसी में शिक्षा बेहाल, प्राथमिक से इंटर तक की शिक्षा के प्रचार प्रसार से लिए सृजित 26 पदों में नियमित शिक्षिकाओं की संख्या महज छह
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : राजकीय बालिका इंटर कॉलेज (जीजीआइसी) ¨बदकी की दशा दिनोंदिन खराब होती जा रही है। शिक्षण संस्थान के पुरसाहाल के उठाए जाने वाले कदम भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। प्राथमिक से इंटर तक की शिक्षा के प्रचार प्रसार से लिए सृजित 26 पदों में नियमित शिक्षिकाओं की संख्या महज छह हैं। एक प्रवक्ता की तैनाती करके उसको प्रधानाचार्य के बोझ के तले दाब दिया गया है। जिस संस्थान में योग्य शिक्षिकाएं नहीं होंगी वहां का पठन-पाठन किस तरह का होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
शिक्षा जगत में इस राजकीय स्कूल की चमक फीकी होती चली जा रही है। शिक्षिकाओं का लगातार सेवानिवृत्त होने के बाद नई तैनाती नहीं हो पा रही है। जो शिक्षिकाएं बाहर जनपदों की तैनाती पाती भी हैं वह समय काट कर अपने जनपद के लिए स्थानांतरण करवा लेती हैं। शिक्षण संस्थान में कक्षा 1 से 12 तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, जिसमें कुल मिलाकर 23 सेक्शन में बांटकर पठन पाठन किया जा रहा है। कॉलेज में शिक्षिकाओं की तैनाती की बात करें तो प्राथमिक स्तर पर कक्षा 1 से पांच तक में 3 पद सृजित हैं जिसमें सभी पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसी तरह जूनियर स्तर में कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाओं में 17 पद सृजित हैं जिसमें 5 पद भरे हुए हैं। इसी तरह कक्षा 9 से 12 तक में 6 पद सृजित हैं जिसमें सिर्फ एक प्रवक्ता का पद भरा हुआ है। इस प्रवक्ता को प्रधानाचार्य का दायित्व भी निर्वाहन करना पड़ रहा है। जिन अन्य पांच शिक्षिकाओं की तैनाती की गई है उसमें एक शिक्षक को जूनियर विद्यालय लालपुर दरौटा के लिए संबद्ध किया जा चुका है। प्रधानाचार्य नीलम मौर्य ने बताया कि कॉलेज में शिक्षिकाओं की बेहद कमी है। जिसका अधियाचन समय समय पर भेजा जाता है। नियुक्त का मामला शासन स्तर है। वहीं छात्राओं की संख्या की बात करें तो प्राथमिक में 85, जूनियर में 226, कक्षा 9-10 में 386 तथा 11-12 में 533 छात्राओं का प्रवेश है। अगर शिक्षिकाओं की कमी पूरा हो जाए तो प्रवेश में और अधिक इजाफा हो सकता है।
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11 प्राइवेट शिक्षिकाएं बनी खेवनहार
- राजकीय शिक्षण संस्थान में शिक्षिकाओं की कमी के लिए शिक्षक-अभिभावक संघ का सहारा लिया गया है। चंद रुपयों की व्यवस्था करके 11 शिक्षिकाओं को पढ़ाने के लिए लगाया गया है। बेहद कम धनराशि के चलते यहां पर कोई पढ़ाने के लिए तैयार नहीं होता है। समय काटने के लिए अल्पकालीन नियुक्ति पाई शिक्षिकाओं ने ज्वाइन कर रखा है। ऐसे में शिक्षा की दशा बेहद सोचनीय हो गई है।
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नकल ने किया बंटाधार
- राजकीय स्कूल में पढ़ने के बाद बोर्ड परीक्षा भी कॉलेज में ही देनी पड़ती है। कॉलेज में नकल न होने की जानकारी बच्चों को पहले से ही होती है और साल भर पढ़ाई न होने के बाद परीक्षा में उत्तीर्ण हो पाना खासा मुश्किल भरा काम होता है। ¨बदकी क्षेत्र में कई नामी गिरामी स्कूल ऐसे हैं जहां पर बोर्ड परीक्षा में जमकर नकल की सुविधा मिलती है। ऐसे में अभिभावक बच्चियों को इस संस्थान में प्रवेश दिलाने के बजाए नकल की सुविधा वाले स्कूलों में प्रवेश दिला देते हैं।