कुशीनगर : यूपी बोर्ड के परीक्षार्थी संशय में हैं, परीक्षा में महज 63 दिन शेष रह गए, सिर पर बोर्ड परीक्षा, अधर में केंद्रों का निर्धारण
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कुशीनगर: यूपी बोर्ड के परीक्षार्थी संशय में हैं। परीक्षा में महज 63 दिन शेष रह गए हैं, लेकिन कुशीनगर में 10 वीं व 12 वीं के परीक्षा का केंद्र अभी तक तय नहीं हो सका है। केंद्र को लेकर अभी तक अनिश्चितता बनी हुई है। कौन परीक्षार्थी कहां परीक्षा देगा, परीक्षार्थियों की रहने की क्या व्यवस्था होगी, आवागमन के लिए क्या साधन होगा। केंद्र निश्चित न हो पाने से परीक्षार्थियों व उनके अभिभावकों के होश उड़ गए हैं। खास कर छात्राओं को लेकर अभिभावक खासा ¨चतित होने लगे हैं। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने वर्ष 2018 की यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए एक माह पूर्व 150 केंद्रों को प्रस्तावित किया। सूचीबद्ध इन केंद्रों के विरुद्ध अभिभावकों, विद्यालय संचालकों से आपत्तियां मांगी गई। प्राप्त 125 अपत्तियों को निस्तारित करने के बाद इसे बोर्ड को भेजा जाना था, लेकिन कुशीनगर में जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में दाखिल की गई इन आपत्तियों में 80 फीसद ज्यों की त्यों पड़ी हुई हैं। कच्छप गति से हो रहे निस्तारण में अब तक महज 20 फीसद आपत्तियों का ही जैसे-तैसे हो सका है। जानकार बताते हैं कि यदि निस्तारण की गति ऐसी ही रही तो अभी महीने भर लग जाएंगे। दूसरी ओर तनाव में तैयारी को अंजाम दे रहे परीक्षार्थियों का करियर तो प्रभावित होगा ही अभिभावकों को तमाम तरह की मुश्किलों का भी सामना करना पड़ेगा। जिला विद्यालय निरीक्षक उदय प्रकाश मिश्र कहते हैं आपत्तियों के निस्तारण क्रम में बीते दिनों जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में उपजिलाधिकारियों को उनके तहसीलों के आपत्तियों के निस्तारण के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन ऐन वक्त नगर निकाय चुनाव के कारण आपत्तियों के निस्तारण की गति धीमी हो गई। कहते हैं निस्तारण में तेजी आ रही है। शीघ्र ही आपत्तियों को निस्तारित कर रिपोर्ट बोर्ड को प्रेषित कर दिया जाएगा।
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क्या हैं आपत्तियां
पडरौना: शैक्षणिक सत्र 2017-18 की बोर्ड परीक्षा के लिए दाखिल 125 आपत्तियों में अधिकतर परीक्षा केंद्रों की दूरी, धारण क्षमता से अधिक बच्चों का आवंटन, संसाधन व मानक पूरा करने के बावजूद विद्यालयों को परीक्षा केंद्र न बनाया जाना शामिल है। बोर्ड ने बालिकाओं के लिए उनके विद्यालय से अधिकतम पांच किमी की परिधि वाले केंद्रों पर ही भेजा जाना है। जबकि बालकों को आठ किमी तथा अधिकतम 10 किमी का मानक निर्धारित है। आरोप है कि केंद्र निर्धारण में दूरी का मानक तय नहीं किया गया है। आरोप यह भी है कि विद्यालयों पर परीक्षार्थियों के बैठने की क्षमता से अधिक बच्चों का आवंटन किया गया है। ऐसे में बच्चे कहां और कैसे बैठेंगे। तमाम आरोप ऐसे भी हैं कि विद्यालय करीब हैं और केंद्र बनाने के मानक में आते हैं बावजूद इसके दूर के विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। सबसे ज्यादा आपत्ति उन विद्यालय संचालकों की है जिनका विद्यालय केंद्र के सभी मानकों को पूरा करता है, लेकिन केंद्र नहीं बनाया गया है।