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इलाहाबाद : राष्ट्रपति तक पहुंची शिक्षक भर्ती में धांधली की गूंज , राष्ट्रपति से ये की गई है शिकायत

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इलाहाबाद : राष्ट्रपति तक पहुंची शिक्षक भर्ती में धांधली की गूंज , राष्ट्रपति से ये की गई है शिकायत

जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में शुरू की गई शिक्षक भर्ती पर गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए हैं। अभ्यर्थियों व शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। इस मामले की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, एमएचआरडी मिनिस्टर, यूजीसी से की गई है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. डीसी लाल का कहना है कि मुझे शारीरिक शिक्षा विभाग की स्क्रीनिंग व शार्ट लिस्टिंग की प्रक्रिया में बिना शामिल किए ही इसे पूरा कर लिया गया। स्क्रीनिंग प्रक्रिया किस आधार पर की जा रही है उसको सार्वजनिक नहीं किया गया। इसके अलावा स्क्रीनिंग में (एकेडमिक परफारमेंस स्कोर) एपीआइ में प्रकाशन के लिए यूजीसी ने अधिकतम अंक 25 निर्धारित कर रखे हैं। विश्वविद्यालय ने इसे मनमाने तरीके से बढ़ाकर 35 कर दिया है। यही नहीं गुड एकेडमिक रिकॉर्ड के तहत स्नातक में निरयोग्यता को 50 फीसद से घटाकर 45 फीसद कर दिया। सवाल है कि 45 फीसद कौन सा गुड एकेडमिक रिकॉर्ड है। डॉ. डीसी लाल ने पूछा है कि विश्वविद्यालय ने यूजीसी के किस अधिनियम के तहत एपीआइ के प्रकाशन कॉलम में अंक बढ़ाया गया। स्नातक में आवेदन करने के लिए मिनिमम अंक को 45 फीसद किया गया। पत्र में यह भी कहा गया है कि ये सारे परिवर्तन शिक्षक भर्ती के विज्ञापन आने के बाद किए गए।
उधर, प्रो. शशिकांत राय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को पत्र लिखकर डीन सीडीसी प्रो. शेखर अधिकारी द्वारा ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचीन इतिहास विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी में उनका नाम सार्वजनिक करने पर घोर आपत्ति की है। उन्होंने अपने पत्र में आवेदन पत्रों के बिना स्क्रीनिंग पूरा हुए साक्षात्कार शुरू करने पर आपत्ति उठाई है। पत्र में कहा गया है कि बिना फार्मो की स्क्रीनिंग पूरी हुए केवल चार्ट आधारित मेरिट सूची से साक्षात्कार कैसे शुरू कर दिया गया। उन्होंने कुलपति से इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग की है। इस मामले को अभ्यर्थियों ने कोर्ट में भी घसीटने की तैयारी कर ली है।
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जासं, इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में शुरू की गई शिक्षक भर्ती पर गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए हैं। अभ्यर्थियों व शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है। इस मामले की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, एमएचआरडी मिनिस्टर, यूजीसी से की गई है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. डीसी लाल का कहना है कि मुझे शारीरिक शिक्षा विभाग की स्क्रीनिंग व शार्ट लिस्टिंग की प्रक्रिया में बिना शामिल किए ही इसे पूरा कर लिया गया। स्क्रीनिंग प्रक्रिया किस आधार पर की जा रही है उसको सार्वजनिक नहीं किया गया। इसके अलावा स्क्रीनिंग में (एकेडमिक परफारमेंस स्कोर) एपीआइ में प्रकाशन के लिए यूजीसी ने अधिकतम अंक 25 निर्धारित कर रखे हैं। विश्वविद्यालय ने इसे मनमाने तरीके से बढ़ाकर 35 कर दिया है। यही नहीं गुड एकेडमिक रिकॉर्ड के तहत स्नातक में निरयोग्यता को 50 फीसद से घटाकर 45 फीसद कर दिया। सवाल है कि 45 फीसद कौन सा गुड एकेडमिक रिकॉर्ड है। डॉ. डीसी लाल ने पूछा है कि विश्वविद्यालय ने यूजीसी के किस अधिनियम के तहत एपीआइ के प्रकाशन कॉलम में अंक बढ़ाया गया। स्नातक में आवेदन करने के लिए मिनिमम अंक को 45 फीसद किया गया। पत्र में यह भी कहा गया है कि ये सारे परिवर्तन शिक्षक भर्ती के विज्ञापन आने के बाद किए गए।
उधर, प्रो. शशिकांत राय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को पत्र लिखकर डीन सीडीसी प्रो. शेखर अधिकारी द्वारा ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचीन इतिहास विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी में उनका नाम सार्वजनिक करने पर घोर आपत्ति की है। उन्होंने अपने पत्र में आवेदन पत्रों के बिना स्क्रीनिंग पूरा हुए साक्षात्कार शुरू करने पर आपत्ति उठाई है। पत्र में कहा गया है कि बिना फार्मो की स्क्रीनिंग पूरी हुए केवल चार्ट आधारित मेरिट सूची से साक्षात्कार कैसे शुरू कर दिया गया। उन्होंने कुलपति से इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग की है। इस मामले को अभ्यर्थियों ने कोर्ट में भी घसीटने की तैयारी कर ली है।
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राष्ट्रपति से ये की गई है शिकायत
-विज्ञापन में ऑनलाइन फार्म तो स्क्रीनिंग व शार्ट लिस्टिंग की क्राइटेरिया ऑनलाइन क्यों नहीं।
-स्क्रीनिंग के बाद योग्य व अयोग्य उम्मीदवारों की सूची ऑनलाइन न करना।
-यूजीसी के चौथे अमेंडमेंट को दरकिनार कर चयन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
-एपीआइ स्कोर में प्रकाशन का प्रतिनिधित्व 25 से बढ़ाकर 35 अंक करना।
-स्नातक में आवेदन करने के लिए मिनिमम अंक 50 से घटाकर 45 फीसद करना।
-अयोग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार प्रक्रिया में बुलाया जाना।
-बिना स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी हुए साक्षात्कार शुरू करने।

-स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के नाम सार्वजनिक होने।
-विज्ञापन में ऑनलाइन फार्म तो स्क्रीनिंग व शार्ट लिस्टिंग की क्राइटेरिया ऑनलाइन क्यों नहीं।
-स्क्रीनिंग के बाद योग्य व अयोग्य उम्मीदवारों की सूची ऑनलाइन न करना।
-यूजीसी के चौथे अमेंडमेंट को दरकिनार कर चयन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
-एपीआइ स्कोर में प्रकाशन का प्रतिनिधित्व 25 से बढ़ाकर 35 अंक करना।
-स्नातक में आवेदन करने के लिए मिनिमम अंक 50 से घटाकर 45 फीसद करना।
-अयोग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार प्रक्रिया में बुलाया जाना।
-बिना स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी हुए साक्षात्कार शुरू करने।
-स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के नाम सार्वजनिक होने।

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