लखनऊ : शिक्षा विभाग में टीचर से लेकर चपरासी तक की हजारों सरकारी नौकरियां
लखनऊः प्रदेश की योगी सरकार यूपी के शिक्षित बेरोजगार युवकों के लिए नौकरियों की सौगात लेकर आई है। शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी करने का उनका सपना नए साल में पूरा होने वाला है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड माध्यमिक शिक्षा विभाग में 20 हजार लोगों को सरकारी नौकरी देने की तैयारी कर चुका है। राज्य सरकार जनवरी में सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में 10 हजार शिक्षकों के पद पर और 10 हजार चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों (चपरासी) के पदों पर भर्ती करने जा रही है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड माध्यमिक स्कूलों में जिन 20 हजार पदों पर भर्ती होने जा रही है, उनमें 10 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में होगी, जबकि इतने ही चपरासियों की भर्ती सहायता प्राप्त और राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में होगी। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ सरकार के एक साल पूरा होने तक इस पदों पर भर्तियों की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
इन विषयों के अध्यापक पद की होगी नियुक्ति
सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में अंग्रेजी, गणित, हिंदी, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, वाणिज्य सहित अन्य विषयों के 10 हजार से अधिक रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्तियों का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। इसी तरह शिक्षा विभाग की ओर से राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेज में 9852 पदों पर सहायक अध्यापकों की भर्ती का प्रस्ताव पहले ही उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को भेजा जा चुका है।
इन खाली पदों पर शिक्षकों और चपरासियों की भर्ती
उत्तर प्रदेश में कुल 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय हैं, इसमें 72,120 सहायक अध्यापकों के पद स्वीकृत हैं, जबिक कुल 20,765 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। वहीं, 2109 राजकीय हाईस्कूल और राजकीय इंटर कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के चार हजार से अधिक पद खाली हैं, वहीं 4512 सहायता प्राप्त विद्यालयों में चपरासी के 7589 पद रिक्त हैं। शिक्षा विभाग इन्हीं स्कूलों में चपरासियों की भर्ती करेगा।
बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद भेजा जाएगा प्रस्ताव
माध्यमिक शिक्षा निदेशक अवध नरेश शर्मा ने बताया कि बोर्ड में अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के बाद सहायक अध्यापकों की भर्ती का प्रस्ताव बोर्ड को भेज दिया जाएगा। इससे पहले सरकार ने सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिए सेवानिवृत्त अध्यापकों और प्रवक्तताओं को संविदा पर रखने का फैसला किया था।