लखनऊ : स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर चलेगा सरकार का डंडा, पांच लाख तक लगेगा जुर्माना
ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ । राज्य सरकार सभी बोर्डों के वित्त पोषित माध्यमिक विद्यालयों में फीस की मनमानी वसूली और वृद्धि व लगाम लगाएगी। राज्य सरकार ऐसा प्रावधान करने जा रही है कि स्कूल कुल फीस का अधिकतम 15 फीसदी विकास शुल्क ही वसूल सकेंगे।
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने शुक्रवार को उप्र. वित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक 2017 का मसौदा जारी कर दिया। इस पर 22 दिसंबर तक आपत्ति व सुझाव मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक के कानून बन जाने के बाद फीस निर्धारण और वसूली में स्कूलों की मनमानी पर रोक लगेगी।
डॉ. दिनेश शर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस करके फीस पर नियंत्रण संबंधी प्रस्तावित विधेयक का ड्राफ्ट जारी किया। उन्होंने कहा कि 6 महीने तक विभिन्न स्तरों पर अध्ययन करने और शुल्क नियमन पर सुप्रीम कोर्ट की राय को ध्यान में रखते हुए विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक के दायरे में वे सभी माध्यमिक स्कूल आएंगे जो अपने संसाधनों से संचालित हो रहे हैं और जिनकी वार्षिक फीस 20 हजार रुपये से अधिक है। नर्सरी व केजी स्तर के स्कूलों को इससे बाहर रखा गया है।
*बार बार नहीं ले सकेंगे प्रवेश शुल्क*
डॉ. दिनेश शर्मा कहा कि अभी कई स्कूल हर क्लास में छात्र से प्रवेश शुल्क वसूलते हैं। अब स्कूल किसी छात्र से नई कक्षा में प्रवेश के साथ ही पांचवी क्लास से छठी में प्रमोट होने, आठवीं क्लास से नौवीं में प्रमोट होने तथा 10 क्लास से 11वी कक्षा में प्रमोट होने पर प्रवेश शुल्क ले सकेंगे।
परीक्षा शुल्क एग्जाम के संचालन के लिए ली जाएगी। आवागमन शुल्क, बोर्डिंग सुविधाएं, भोजन की सुविधा, शैक्षिक भ्रमण और अन्य सुविधाएं एच्छिक रहेगी। इनके लिए स्कूल किसी छात्र को बाध्य नहीं कर सकेगा। विवरण पुस्तिका एवं पंजीकरण शुल्क छात्रों से केवल प्रवेश के समय ही ली जाएगी।
*विकास शुल्क अधिभार*
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में विकास शुल्क की मनमानी वसूली रोकने का प्रावधान है। विकास शुल्क की राशि किसी छात्र द्वारा ली जाने वाली कुल शुल्क का अधिकतम 15 प्रतिशत तक हो सकती है। यह संस्था के अवस्थापना विकास, नई शाखा या संस्था में नया स्कूल खोलने में उपयोग में लाई जा सकेगी।
*अधिकतम शुल्क की सीमा तय नहीं*
प्रस्तावित विधेयक में किसी स्कूल द्वारा अधिकतम फीस वसूली के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। यह स्कूल के संसाधन व सुविधाओं पर निर्भर रहेगी। डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि कोई स्कूल अपने व्यय और 15 फीसदी विकास शुल्क से ज्यादा फीस नहीं लेगा।
*ज्यादा शुल्क वसूली पर 1 से 5 लाख अर्थदंड*
शुल्क नियामक समिति ज्यादा फीस वसूली की शिकायत की जांच से संतुष्ट होने पर पहली बार एक लाख रुपये तक और दूसरी बार पांच लाख रुपये तक अर्थदंड लगा सकती है। तीसरा बार ज्यादा फीस की वसूली पाई जाने पर संस्था की मान्यता समाप्त करने की संस्तुति के साथ ही छात्र से लिए गए शुल्क की 15 फीसदी राशि विकास की गतिविधियों पर खर्च करने की अनुमति रोक सकती है।
*20 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले सभी स्कूल दायरे में*
नए विधेयक के प्रावधानों के दायरे में यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई के साथ ही प्रदेश में सभी बोर्डों के स्कूल शामिल रहेंगे। शर्त यह है कि वे सालाना 20 हजार रुपये से ज्यादा फीस ले रहे हों। वे मदरसे व अल्पसंख्यक विद्यालय जो छात्रों से प्रतिवर्ष 20 हजार तक फीस ले रहे हैं, उन पर प्रस्ताविक विधेयक के प्रावधान लागू होंगे।
*कैबिनेट में ले जाएंगे फाइनल ड्राफ्ट*
डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक के प्रारूप पर 22 दिसंबर तक जो आपत्तियां व सुझाव आएंगे, उनका परीक्षण कर फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। इसे कैबिनेट की बैठक में ले जाया जाएगा। उसके बाद अगली कार्यवाही की जाएगी। देखा जाएगा कि इसे अध्यादेश के रूप में लाएं या विधानसभा में लेकर जाएं।