लखनऊ : विद्यालयों फल वितरण पर पुन: लग सकता है ग्रहण, मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण की ओर से अब तक फल वितरण के लिए बजट न मिलने से आशंका गहराई
लखनऊ । मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण की ओर से अब तक फल वितरण के लिए बजट न मिलने के कारण समाजवादी पौष्टिक आहार योजना (फल वितरण) पर पुन: ग्रहण लग सकता है। एनजीओ संचालकों का कहना है कि गत मार्च से अब तक फल वितरण के लिए धन का भुगतान नहीं हो पाया है। ऐसे में ज्यादा दिनों तक फलों का वितरण नहीं किया जा सकता है।
ज्ञात हो वर्ष-2016 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मौसमी फल दिए जाने के लिए समाजवादी पौष्टिक आहार योजना की शुरुआत की थी। गत वर्ष जुलाई माह में शुरू हुई इस योजना के तहत स्कूलों में प्रत्येक सोमवार को कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को मिड-डे-मील से पहले एक-एक मौसमी फल (केला, नाशपाती, आम, संतरा आदि) दिए जाने की व्यवस्था की गयी थी। राजधानी के पांच ब्लाक व नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में मिड-डे-मील व फल वितरण की व्यवस्था अक्षय फाउण्डेशन के पास है, जबकि माल, मलिहाबाद तथा गोसाईगंज में ग्राम प्रधान हेड मास्टर के साथ मिड-डे-मील का वितरण करवाते हैं।
इसी तरह नगर क्षेत्र के राजकीय, सहायता प्राप्त व मदरसों में मिड-डे-मील में फल देने की जिम्मेदारी आठ स्वयं सेवी संस्थाओं के पास है। बजट न होने के कारण स्वयं सेवी संस्थाएं राजधानी के दो लाख नौ हजार बच्चों को फल देने में जल्द ही हाथ खड़े करने की तैयारी में हैं। विभागीय जानकारों के अनुसार पहले वर्ष फल वितरण के लिए लगभग दो सौ करोड़ रपए का बजट जारी किया गया था। इसके बाद वर्ष 2017-18 के लिए भी बजट स्वीकृत किया गया, लेकिन बाद में बजट वापस ले लिया गया। इससे सितम्बर में परिषदीय विद्यालयों से लेकर राजकीय, सहायता प्राप्त व मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को फलों का वितरण बंद कर दिया गया था।