इलाहाबाद : संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को भी पेंशन-ग्रेच्युटी का हक: हाईकोर्ट
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हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि इंटरमीडिएट कॉलेजों की तरह संस्कृत महाविद्यालयों से संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को भी पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभ का भुगतान पाने का अधिकार है। कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए छह माह में परिनियमावली बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि संस्कृत भाषा देश की सांस्कृतिक एकता, विज्ञान व सभ्यता के विकास की आधारशिला है। ऐसे में संस्कृत महाविद्यालयों से जुड़े अध्यापकों के साथ भेदभाव करना उचित नहीं माना जा सकता है। संस्कृत भाषा के साथ भेद करना अपराध है। संस्कृत पढ़ाने वाले अध्यापकों के साथ भेदभाव करना विकास की जड़ काटना है। संस्कृत के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए अध्यापकों को वेतन व सेवानिवृत्त परिलाभ के भुगतान में भेदभाव राष्ट्रीय अपराध है। कोर्ट ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों से संबद्ध विद्यालयों के अध्यापकों के वेतन दिया जा रहा है तो इंटर कॉलेज से संबद्ध प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों की तरह इन्हें भी पेंशन आदि पाने का हक है। कोर्ट ने कहा है कि प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा बच्चों के मस्तिष्क विकास की आधार शिक्षा है। ऐसे में अध्यापकों को पेंशन से इनकार करना मनमानापूर्ण है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने सत्य नारायण संस्कृत महाविद्यालय बरारी बैतालपुर देवरिया के सहायक अध्यापक पद से सेवानिवृत्त मार्कण्डेय मणि की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। साथ ही संस्कृत महाविद्यालय से संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक को पेंशन देने से इनकार करने के आदेश को अवैध व मनमानापूर्ण करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने याची को तीन माह में सेवानिवृ़त्ति परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश भी दिया है। अब तक इंटर कॉलेजों से संबद्ध प्राइमरी स्कूल के अध्यापकों को ही पेंशन आदि दी जाती है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को संस्कृत विद्यालयों से संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को पेंशन आदि देने के इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।