बदायूं : अशिक्षा का एक बड़ा कारण बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार भी हैं, जो खुद नहीं चाहते कि बच्चे पढ़ें।
बदायूं : अशिक्षा का एक बड़ा कारण बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार भी हैं, जो खुद नहीं चाहते कि बच्चे पढ़ें। प्रवेश को जाने पर इंकार कर दिया जाता है। तो कभी अभिभावकों को स्टाफ कम होने की बात कहकर लौटा दिया जाता है। रविवार को साक्षरता परीक्षा के दौरान नामांकन की सच्चाई सामने आई। नवादा के उच्च प्राथमिक विद्यालय के लोक शिक्षा केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे बीएसए ने महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करना शुरू किया तो महिलाओं के मन का गुबार निकलने लगा। खुद की पढ़ाई बाद में, पहले बच्चों की पढ़ाई कराने को कहने लगीं और बोलीं साहब, शिक्षकों ने प्रवेश देने से मना कर दिया, अब बच्चे कहां पढ़ाएं। वहीं सूत्रों के अनुसार बच्चे छोटे लग रहे थे और अभिभावकों की ओर से उम्र का प्रमाण पत्र भी नहीं दिखाया गया। जिसकी वजह से प्रवेश नहीं लिया गया।
महिलाओं के बोल -
फोटो 17 बीडीएन 64
विद्यालय के स्टाफ ने बच्चों का प्रवेश लेने से इंकार कर दिया। बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है तो उधार रूपये लेकर प्राइवेट विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
- संतोष
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सात वर्ष की बेटी है। उसके प्रवेश के लिए विद्यालय आई थी, लेकिन बेटी के छोटी होने की बात कहकर लौटा दिया गया, जबकि उसकी उम्र सही है।
- मोरकली
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बेटा करीब आठ वर्ष का हो गया। दो वर्षों से लगातार विद्यालय में आ रही हूं, लेकिन हर बार बेटा छोटा होने की बात कहकर प्रवेश लेने से मना कर दिया जाता है। बच्चा इधर-उधर घूमता है कहीं बिगड़ न जाए।
- रीना
फोटो 17 बीडीएन 67
परिषदीय विद्यालय में प्रवेश नहीं लिया गया। स्टाफ न होने की बात कहकर लौटा दिया गया। तो एडेड विद्यालय में बच्ची का प्रवेश कराया। प्रवेश को लेकर बड़ी समस्या है।
- छोटी
वर्जन..
विभाग की ओर से अभियान चलाकर नामांकन कराया जाता है। आउट आफ स्कूल बच्चों के लिए भी अभियान चलता है। उसमें तो बच्चों के विद्यालय न जाने की बात सामने नहीं आई। पहली बार नामांकन न करने की शिकायत प्राप्त हुई है। शिकायत की पड़ताल होगी।
- प्रेमचंद यादव, बीएसए