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लखनऊ : समान कार्य का समान वेतन मिले, नहीं तो आंदोलन करेंगे : उमेश द्विवेदी

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लखनऊ : समान कार्य का समान वेतन मिले, नहीं तो आंदोलन करेंगे : उमेश द्विवेदी

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हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । पिछली सरकार ने वित्तविहीन शिक्षकों के लिए बहुत कम मानदेय दिया था। इतना कम वेतन भाजपा सरकार शिक्षकों के लिए नहीं दे सकती थी, जिसके चलते वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय वाले बजट को बंद कर दिया गया। पिछला वित्तीय वर्ष बहुत भार वाला था। सरकार के ऊपर बहुत बोझ था। 36 हजार करोड़ रुपये किसानों का ऋण चुकाना था। इस वित्तीय वर्ष ऐसी कोई समस्या नहीं है। नए बजट में वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय बढ़ाया जाएगा। अगले बजट में इसे शामिल करने की तैयारी चल रही है। यह बातें उत्तर प्रदेश माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के महासम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कही।

माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के महासम्मेलन का आयोजन रविवार सुबह झूलेलाल वाटिका में हुआ। इस मौके पर शिक्षक महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सदस्य विधान परिषद उमेश द्विवेदी ने कहा कि सरकार के माध्यमिक शिक्षा पर खर्च होने वाले कुल बजट में प्रदेश के 13 फीसदी ही बच्चों को शिक्षा मिल पाती है, जबकि प्रदेश के 87 फीसदी बच्चों को पढ़ाने का कार्य वित्तविहीन शिक्षकों द्वारा प्राइवेट माध्यमिक विद्यालयों में किया जा रहा है। इस प्रकार समान कार्य के लिए समान वेतन पाना हमारा हक है।

प्रदेश के महासचिव अजय सिंह ने राजकीय एवं सवित्त विद्यालयों को वरीयता, जबकि संसाधन संपन्न वित्तविहीन विद्यालयों की उपेक्षा होना निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर को प्रदेश की कार्यकारिणी बैठक में प्रदेश सरकार के रुख को देखते हुए आगे की रणनीति तैयार होगी। यदि, सरकार हमारी मांगों को अस्वीकार करती है तो ‘समान कार्य के लिए समान वेतन पाने के लिए प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

महासम्मेलन के इस मौके पर प्रदेश के हर जिले से शिक्षक, प्रधानाचार्य, प्रबंधक सैकड़ों की तादात में पहुंचे। इनमें मुख्य रूप से कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष संजीव बाजपेयी, रेनू मिश्रा, प्रदेश कोषाध्यक्ष शिव शरण प्रसाद, महासचिव अखिलेश सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित थे।

क्या हैं मांगें?

- वित्तविहीन शिक्षकों को अंशकालिक शिक्षक न कहकर पूर्णकालिक शिक्षक का पदनाम देते हुए सेवा सुरक्षायुक्त सेवा नियमावली बनाई जाए,

- शासन-प्रशासन द्वारा वित्तविहीन विद्यालयों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार तत्काल बंद हो,

- सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों, प्रधानाचार्यों के वेतन के बराबर ही ‘समान कार्य के लिए समान वेतनउपलब्ध हो,

- उच्चीकृत जूनियर हाईस्कूलों को सर्वोच्च न्यायालय का अनुपालन करते हुए अनुदानित किया जाए,

- वित्तविहीन विद्यालयों से जलकर समाप्त हो एवं विद्युत कर की व्यावसायिक दर हटायी जाए।

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