लखनऊ : लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश जारी
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इलाहाबाद के भर्ती घोटाले की सीबीआई से जांच कराने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश के गृह विभाग के सचिव भगवान स्वरूप ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच घोषित किए गए परीक्षा परिणाम जांच के दायरे में होंगे।
प्रदेश सरकार ने 31 जुलाई 2017 को इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी। सपा सरकार के कार्यकाल में हुई इन भर्तियों को लेकर लगातार सवाल उठते रहे। आयोग की कार्यशैली के खिलाफ इलाहाबाद में अभ्यर्थियों ने लंबे समय तक आंदोलन भी किया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने इलाहाबाद जाकर अभ्यर्थियों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया था।
तब सपा के ही एमएलसी रहे देवेन्द्र प्रताप सिंह ने लोक सेवा आयोग की भर्तियों की सीबीआई से जांच कराने की मांग करके तत्कालीन सपा सरकार को असहज कर दिया था। बाद में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव की योग्यता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट द्वारा डॉ. यादव को अयोग्य करार दिए जाने के बाद तत्कालीन सपा सरकार को उन्हें हटाना पड़ा था। भर्ती घोटाले की जांच में डॉ. यादव सबसे अहम किरदार होंगे।
लोक सेवा आयोग की भर्तियों में जाति विशेष के अभ्यर्थियों को चुने जाने, घूसखोरी के आधार पर चयन करने और पेपर लीक होने जैसे आरोप भी लगे थे। इसमें पीसीएस और पीसीएस (जे) के पदों के अलावा डॉक्टरों, इंजीनियरों और शिक्षकों के पदों पर हुई भर्तियां भी जांच के घेरे में होंगी। भर्ती घोटाले की जांच शुरू होने पर अध्यक्ष व सदस्यों के अलावा आयोग में तैनात रहे अफसरों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।