इलाहाबाद : विवाद न हो तो मृतक आश्रित बेवा को मिले नौकरी, ससुराल वाले मान रहे बहू तो सिविल न्यायालय से प्रमाण पत्र लाने की जरूरत नहीं,हाथरस की मृतक आश्रित नियुक्ति पर तीन माह में लें निर्णय
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी सेवारत रहते पति की मौत के बाद कोई विवाद न हो तो मृतक आश्रित विधवा को नौकरी मिले। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति इरशाद अली की खंडपीठ ने इंटेलिजेंस ब्यूरो में दारोगा के पद पर तैनात रहे दिनेश कुमार शर्मा की पत्नी हाथरस निवासी अंजना गौड़ की याचिका पर दिया है।कोर्ट ने विभाग को आदेश दिया है कि वह याची को मृतक आश्रित नियुक्ति और अन्य वित्तीय लाभ देने के मामले में तीन महीने में निर्णय ले। याची का विवाह दिनेश कुमार शर्मा के साथ 24 मई, 2014 को हुआ था।1 दुर्भाग्यवश पति की मृत्यु विवाह के तीन दिन बाद ही हो गई। मृतक आश्रित नियुक्ति और पेंशन लाभ प्राप्त करने के लिए विभाग में आवेदन किया लेकिन, विभाग ने यह कहकर इन्कार कर दिया कि याची पहले विधवा होने का प्रमाण पत्र व डिक्री प्रस्तुत करे। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जब याची ने विवाह निमंत्रण कार्ड, परिवार रजिस्टर में पत्नी के रूप में प्रविष्टि और अन्य अभिलेख प्रस्तुत कर दिए, उसके ससुराल के लोग भी अपने प्रार्थना पत्र में बहू मानने से इन्कार नहीं कर रहे हैं तब विभाग की ओर से विधवा होने का प्रमाण पत्र मांगना अनुचित है।