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लखनऊ : मांगों को लेकर वित्तविहीन शिक्षकों को उमड़ा हुजूम, मंत्री ने दिया आश्वासन, आगामी बजट में शिक्षकों को राहत

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लखनऊ : मांगों को लेकर वित्तविहीन शिक्षकों को उमड़ा हुजूम, मंत्री ने दिया आश्वासन, आगामी बजट में शिक्षकों को राहत

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-माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के प्रांतीय अधिवेशन में रखे गए प्रस्ताव

-मंत्री ने दिया आश्वासन, आगामी बजट में शिक्षकों को राहत

जागरण संवाददाता, लखनऊ : वित्तविहीन शिक्षकों को उनका हक मिलेगा। किसानों की कर्जमाफी के चलते इस बार आर्थिक दबाव रहा, मगर आगामी बजट में वित्तविहीन शिक्षकों के लिए व्यवस्था रहेगी। यह कहना था सूबे की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी का। वह माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के प्रांतीय अधिवेशन में बोल रहीं थीं।

सोमवार को माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा का प्रांतीय अधिवेशन झूलेलाल वाटिका में संपन्न हुआ। इसमें बड़ी तादाद में वित्तविहीन शिक्षक शामिल हुए। अधिवेशन में मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान विधायक उमेश द्विवेदी, एमएलसी संजय मिश्रा, एडवोकेट अजय सिंह, अशोक राठौर समेत तमाम लोग मौजूद रहे। महासभा की ओर से ज्ञापन में कई प्रस्ताव रखे गए। जिनमें.

-पिछली सरकार द्वारा दिए गए वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत प्रधानाचार्य, शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी करते हुए शासन द्वारा निर्धारित कुशल श्रमिक के बराबर मानदेय की व्यवस्था आगामी बजट में की जाए।

-वित्तविहीन शिक्षकों का वास्तविक डाटा जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर सरकार तक सुरक्षित रखा जाए।

-वित्तविहीन विद्यालयों में पढ़ा रहे पूर्णकालिक शिक्षकों को अंशकालिक कहा जाना अपमानजनक व अव्यवहारिक है। ऐसे में अंशकालिक शब्द को तत्काल हटाते हुए इन्हें कार्य के आधार पर पूर्णकालिक शिक्षक पदनाम दिया जाए।

-परिषद द्वारा मान्यता की धारा 7 (क) को परिवर्तित कर धारा 7 (4) के अंतर्गत मान्यताएं प्रदान की जाएं।

-विगत 3 वर्षो से कार्यरत अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण से मुक्ति प्रदान करते हुए मानदेय में सम्मिलित किया जाए।

-उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार 135 उच्चीकृत जूनियर विद्यालयों को अनुदानित किया जाए।

-केंद्र निर्धारण नीति में राजकीय, एडेड और वित्तविहीन विद्यालयों हेतु पारदर्शी एवं समान नीति बनाकर शिक्षाधिकारियों के भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाए और जिला केंद्र निर्धारण सहित समस्त समितियों में वित्तविहीन विद्यालय के प्रधानाचार्यो को भी सदस्य बनाया जाए।

-वित्तविहीन विद्यालयों के प्रधानाचार्य,शिक्षकों के अनुभव को मान्य करते हुए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग में सम्मिलित किया जाए एवं वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत प्रधानाचार्य, शिक्षक, शिक्षेत्तर कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा बीमा योजना लागू करायी जाए।

-परीक्षकों की नियुक्ति में वित्तविहीन शिक्षकों को आनुपातिक स्थान दिया जाए, जबकि सेवानिवृत्त हो चुके माध्यमिक शिक्षकों एवं महाविद्यालय के शिक्षकों को इस कार्य से अलग रखा जाए।

-वित्तविहीन विद्यालयों से जलकर को समाप्त किया जाए एवं विद्युत कर की व्यावसायिक दर को समाप्त कर सामान्य दर लिया जाए। साथ ही वित्तविहीन विद्यालयों को पूर्व की भांति पर्याप्त मात्रा में क्षतिपूर्ति दी जाए।

-केंद्र पुनर्निर्धारित योजनांतर्गत दी जाने वाली छात्रवृत्ति से वित्तविहीन विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को राजकीय, एडेड की भांति एमडीएम, पुस्तकें, ड्रेस आदि सरकारी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएं।

-तदर्थ शिक्षकों को विनियमित किया जाए एवं व्यावसायिक एवं कंप्यूटर शिक्षकों की समस्याओं का तत्काल समाधान कराते हुए सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए।

-उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार 135 उच्चीकृत जूनियर विद्यालयों को अनुदानित किया जाए।

-केंद्र निर्धारण नीति में राजकीय, एडेड और वित्तविहीन विद्यालयों हेतु पारदर्शी एवं समान नीति बनाकर भ्रष्टाचार समाप्त किया जाए और जिला केंद्र निर्धारण सहित समस्त समितियों में वित्तविहीन विद्यालय के प्रधानाचार्यो को भी सदस्य बनाया जाए।

-परीक्षकों की नियुक्ति में वित्तविहीन शिक्षकों को आनुपातिक स्थान दिया जाए, जबकि सेवानिवृत्त हो चुके माध्यमिक शिक्षकों एवं महाविद्यालय के शिक्षकों को इस कार्य से अलग रखा जाए।

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