फतेहपुर : शिक्षिकाओं की कमी से शिक्षा बदहाल, बदहाली और छात्राओं की गिरती प्रवेश संख्या के चलते शिक्षण संस्थान की साख भी प्रभावित हो रही
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संवाद सूत्र, हुसेनगंज : गंगा के तटवर्ती कस्बे में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की स्थापना वर्ष 2002 में की गई थी। बालिकाओं को शिक्षा-दीक्षा देकर उन्हें होनहार बनाने के काम में बदहाली आड़े आ गई है। शिक्षिकाओं की तैनाती से यह शिक्षण संस्थान कभी सरसब्ज नहीं हो पाया है। जिसके चलते छात्राओं की प्रवेश संख्या में दिनों दिन गिरावट हो रही है। बदहाली और छात्राओं की गिरती प्रवेश संख्या के चलते शिक्षण संस्थान की साख भी प्रभावित हो रही है।
राजकीय शिक्षण संस्थान की बदहाली रुकने का नाम नहीं ले रही है। 15 साल पहले बनी इमारत छात्राओं के कलरव से गुलजार नहीं हो पा रही है। पढ़ाई की बदहाली के चलते अभिभावक भी अपने बच्चियों को प्रवेश दिलाने से कतराते हैं। मौजूदा समय की बात करें तो प्रवक्ता के 9 पद सृजित हैं जिसमें महज 4 की तैनाती है। इसी तरह सहायक शिक्षिकाओं के 7 पद सृजित हैं जिसमें केवल 2 शिक्षिकाओं की तैनाती है। विद्यालय में 16 शिक्षिकाओं की तैनाती के सापेक्ष महज 6 शिक्षिकाएं ही सेवाएं दे रही हैं। ऐसे में पठन पाठन व्यवस्था के क्या हालात होंगे इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। अभिभावकों के विद्यालय से मुंह मोड़ने के चलते मौजूदा समय में छात्राओं की प्रवेश संख्या 115 तक सिमट कर रह गई है। प्रधानाचार्य कमलेश कुमारी ने बताया कि सारी समस्याओं को डीआइओएस कार्यालय के संज्ञान में डाल दिया गया है। विद्यालय में अधिक से अधिक प्रवेश हो इसके लिए सत्र शुरू होने पर प्रयास किए जाते हैं।
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अंग्रेजी की शिक्षिका का अता पता नहीं
- बालिकाओं को अंग्रेजी की शिक्षा का ज्ञान कराने के लिए कॉलेज में शासन ने प्रतिमा ¨सह की तैनाती की थी। बिना किसी ठोस अवकाश के कारणों से वह अनुपस्थित चल रही हैं। तमाम पत्राचार किए जाने के बाद कोई उत्तर नहीं मिल पाया है। मौजूदा समय में शिक्षिका का कोई अता पता नहीं है। विद्यालय प्रशासन ने लगातार चार माह से गैरहाजिरी की शिकायत डीआइओएस से की थी। प्रधानाचार्या की मानें तो डायरेक्टर तक इसकी शिकायत हुई है लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं हो पाई है।
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अधूरी इमारत नहीं हो रही पूरी
- विभागीय कार्रवाई के डर से जीजीआईसी में तैनात शिक्षिकाएं और स्टाफ मुंह खोलने से डर रहा है। दबी जुबान स्थानीय लोगों की हां में हां मिलाने से पीछे नहीं हैं। लोगों का कहना है कि अभी तक इस इमारत को पूरा नहीं किया जा सकता है। बदहाली के दौर में इस काम की सुधि नहीं ली जा रही है। हालात यही रहे तो आने वाले समय में निर्माण का शेष काम ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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रुपयों का हो गया भुगतान, नहीं हुआ विद्युतीकरण
- सूबे में सत्तासीन रहने वाली सरकारें विद्युतीकरण का ¨ढढोरा पीटती रहती हैं लेकिन सरकारी कॉलेज की इमारत को एक अदद कनेक्शन नहीं मिल पाया है। कॉलेज के अभिलेखों में गौर करें तो विद्युतीकरण के लिए वर्ष 2002 में विद्युत विभाग को 54 हजार रुपए का भुगतान किया गया था लेकिन विभागीय शिथिलता के चलते यह काम पूरा नहीं हो पाया है। गर्मी के दिनों में यहां पर तैनात स्टाफ को परेशानी का सामना करना पड़ता है इसके बाद भी सुधि नहीं ली जा रही है।