लखीमपुर खीरी : प्रयास को प्रणाम, वाहिद के हाथ में अब सिक्के नहीं कलम-किताब, तकदीर के इस खेल को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ, चाइल्ड लाइन ने उसको नरक से बाहर निकाला
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राकेश मिश्र ’ लखीमपुर । तकदीर के इस खेल को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ। लखीमपुर के ओवरब्रिज के नीचे दिव्यांग बनकर जब 10 साल का वाहिद भीख मांगता था। चाइल्ड लाइन ने उसको इस नरक से बाहर निकाला और दैनिक जागरण ने उसकी दास्तान को प्रमुखता से छापा था। वाहिद अब जिले के फूलबेहड़ ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोड़री में कक्षा छह का नियमित छात्र है।
गुजरे 10 महीने में वाहिद बदल चुका है, उसने भिक्षा छोड़ शिक्षा से नाता जोड़ लिया है। विकासखंड फूलबेहड़ के ग्राम बेचेपुरवा में अल्पसंख्यक परिवार में जन्मे वाहिद के पिता की बचपन में ही मौत हो गई। चाचा ने वाहिद को भीख मांगने का प्रशिक्षण दिया। मां साबिरा ने भी विरोध नहीं किया। वाहिद दिव्यांग बनकर भीख मांगता था। इसका खुलासा तब हुआ जब चाइल्ड लाइन ने दिव्यांग बनकर भीख मांग रहे इस किशोर को आश्रय दिलाया। फूलबेहड़ विकास खंड के पूर्व माध्यमिक स्कूल कोड़री में वाहिद का कक्षा छह में प्रवेश कराया गया। शिक्षिकाओं ने उस पर खास ध्यान देना शुरू किया। वाहिद अब शुरू से अक्षर ज्ञान सीख रहा है। प्रधानाध्यापिका नसीम जहां कहती हैं कि वाहिद अब अपना नाम लिखने लगा है।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोड़री में अन्य विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई करता वाहिद ’ जागरण
संस्थाएं होतीं जागरूक तो और बच्चे भी बनते उदाहरण
भिक्षा में लगे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का पुनीत कामभिक्षावृत्ति देश पर कलंक है। बार-बार मांगने से व्यक्ति की आंखों की शर्म नष्ट हो जाती है। यदि व्यक्ति स्वाभिमानी हो तो वह कुंठा ग्रस्त हो जाता है। भिक्षावृत्ति एक दंडनीय अपराध है। भीख देने और लेने वाले दोनों को दंडित किया जाना चाहिए।
रमावती राना, अधीक्षिका, बाल गृह बालकभिक्षा में लगे बच्चों को शिक्षा दिलाने, लावारिस बच्चों को आश्रय व संरक्षण का काम बाल कल्याण समिति कर रही है। लावारिस बच्चों को एडॉप्शन फ्री भी करते हैं। दुष्कर्म पीड़ित किशोरियों को पुन: परिवार से जोड़ने का काम कर रही है।
सुमित्र यादव, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
बच्चे जो भीख मांग कर भरण-पोषण करते हैं उन्हें बाल कल्याण समिति के माध्यम से बालगृह भेजते हैं। भीख मंगवाने का मामला संज्ञान में नहीं है, आएगा तो कार्रवाई होगी।
संजय निगम, जिला प्रोबेशन अधिकारीचाइल्ड लाइन लावारिस, भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वासन के लिए कार्य कर रही है। हर वर्ष ढाई दर्जन बच्चों को मुक्त कराया जाता है। कुछ को स्कूलों में प्रवेश कराए गए हैं।
जीशान अंसारी, समन्वयक, चाइल्ड लाइनतकदीर ने उमेश और मुकेश को भी झोंक दिया भिक्षावृत्ति में1बालगृह बालक में आश्रय पा रहे उमेश (10) और मुकेश (12) के पिता महेश राधरन घर से कहीं चले गए और माता पूजा ने दूसरे से विवाह कर लिया। बेहजम रोड पर ग्राम लीला कुंआ में रह रहे बाबा राधे राधरन ने परवरिश नहीं की तो बच्चों ने भीख मांग कर गुजारा करना शुरू किया। पीके इंटर कॉलेज के पास भीख मांगते यह बच्चे चाइल्ड लाइन को मिले थे। संकटा देवी मंदिर के पास भीख मांगते मिले अनुज को परिवारीजन ही भीख मंगवाते थे। कस्बा खीरी टाउन निवासी इस बालक को परिवारीजन को यह ताकीद देकर सौंपा गया कि उसका स्कूल में प्रवेश कराएंगे और भीख नहीं मंगवाएंगे। चाइल्ड लाइन समन्वयक जीशान अंसारी ने बताया कि इस वर्ष 11 बच्चे भीख मांगते और कूड़ा बीनते रेसक्यू किए गए थे।