इलाहाबाद : जिले में दो लाख से अधिक विद्यार्थियों को स्वेटर का इंतजार, तकरीबन साढ़े तीन हजार परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नवंबर में वितरित होने थे स्वेटर
जेम पोर्टल से खरीदने की बनी थी योजना, एक ही क्वालिटी के स्वेटरों के दाम में अंतर के कारण अब शासन स्तर से सेंट्रलाइज्ड होगा टेंडर
ब्यूरो/अमर उजाला, इलाहाबाद । जिले के परिषदीय विद्यालयों के दो लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को स्वेटर अब तक नहीं मिला है। ठंड लगातार बढ़ रही है लेकिन इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया ही अब तक पूरी नहीं हुई, जबकि सरकार ने नवंबर के अंत तक स्वेटर वितरण का निर्देश दिया था। हालांकि देरी होने का यह कोई पहला मौका नहीं है। इसके पहले ड्रेस वितरण का काम भी समय से नहीं हो सका था। यह काम अक्तूबर तक चला।
इलाहाबाद में करीब 2500 प्राथमिक और एक हजार उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में दो लाख से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस बार सरकार ने इन विद्यालयों के विद्यार्थियों को नि:शुल्क स्वेटर वितरण की घोषणा की। तय किया गया कि नवंबर के अंत स्वेटर का वितरण हो जाएगा लेकिन दिसंबर के भी सात दिन बीत गए और विद्यार्थियों को स्वेटर नहीं मिले। इस बीच ठंड लगातार बढ़ रही है। ऐसे में स्वेटर का वितरण कब तक शुरू होगा यह भी तय नहीं है। कहा जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण स्वेटर खरीद की प्रक्रिया रुक गई। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है क्योंकि यह पहले से तय था कि निकाय चुनाव के लिए अधिसूचना लागू होगी, फिर अक्तूबर में शासन ने स्वेटर खरीद की अनुमति भी दे दी।
ऐसे में देरी के लिए कौन जिम्मेदार है, यह बड़ा सवाल है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देेवेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि जब अक्तूबर में शासन से अनुमति मिल गई और नवंबर में स्वेटर वितरण की घोषण भी की गई तो इसमें देरी होने का कारण समझ से परे है। स्वेटर के इंतजार में विद्यार्थी ठंड में ठिठुर रहे हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुशवाहा का कहना है कि शासन ने पहले जेम पोर्टल से स्वेटर खरीदने की योजना बनाई थी लेकिन एक ही क्वालिटी के स्वेटरों की कीमतों में अंतर के कारण योजना बदल दी गई है। अब शासन स्तर से सेंट्रलाइज्ड टेंडर होगा। इसके बाद स्वेटर तैयार होंगे। यानी स्वेटर वितरण अब जनवरी में ही संभव है।