लखनऊ : बजट दिया नहीं और कहा स्वेटर खरीद लो, जिले के 1800 प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों में बांटे जाने हैं स्वेटर
🔴 आधे बजट में सभी बच्चों के लिए कहां से स्वेटर आएगा। ऐसी स्थिति में शिक्षकों पर दबाव बनाना ठीक नहीं है।
- वीरेंद्र सिंह, महामंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
🔵 विभाग की ओर से हमें आधा बजट मिला है, इसलिए हमने आधा बजट ही जारी कर दिया है।
- प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए
एक जगह नहीं मिल रहा स्टॉक : शहर के स्कूलों के मास्टर साहब के सामने एक और बड़ी परेशानी ये भी है कि एक दुकान पर स्वेटर का स्टॉक ही नहीं मिल रहा है। हर स्कूल में लगभग 50 स्वेटर तो लग ही रहे हैं जबकि कुछ में सौ से दो सौ बच्चे भी हैं। जबकि दुकानों पर एक ही रंग के इतने स्वेटर हैं नहीं। कहीं दस स्वेटर मिल रहे हैं तो कहीं बीस। ऑर्डर देने पर भी दस दिन का समय दुकानदार मांग रहे हैं और साथ में एडवांस भी।
कुछ स्कूलों को मिला आधा पैसा : शिक्षा विभाग की ओर से कुछ स्कूलों को स्वेटर खरीदने के लिए बजट जारी भी किया गया है तो सिर्फ आधा। मसलन जहां 100 बच्चे हैं, वहां 50 बच्चों के स्वेटर का पैसा ही दिया जा रहा है, जबकि शासनादेश में 75 प्रतिशत पैसा पहले देने का प्रावधान है। शिक्षकों का कहना है कि मार्केट में कोई व्यापारी क्यों पैसा उधार करेगा ।
लखनऊ : जिले के 1800 प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूलों में बच्चों को स्वेटर उपलब्ध करवाने का प्रदेश सरकार का दावा फेल हो गया है। सरकार की ओर से स्कूलों के 1.72 लाख बच्चों को स्वेटर बांटे जाने हैं, लेकिन अब तक स्कूल को विभाग की ओर से बजट नहीं मिला है। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से आठ स्कूलों को स्वेटर खरीदने के लिए बजट जारी भी किया गया है तो सिर्फ आधा। ऐसे में ठंड में बच्चे बिना स्वेटर के स्कूल जाने को मजबूर हैं।
प्रदेश सरकार ने एक स्वेटर के लिए अधिकतम 200 रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिसमें स्कूलों के 1.72 लाख बच्चों को स्वेटर बांटने पर 3 करोड़ 44 लाख रुपये खर्च होंगे। जबकि बेसिक शिक्षा विभाग को एक करोड़ 72 लाख रुपये ही मिले हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय भरोसा में पढ़ने वाले 96 बच्चों को स्वेटर बांटा जाना है, लेकिन अब तक स्कूल को विभाग की ओर से बजट ही नहीं मिला है। इसी तरह जियामऊ के पूर्व माध्यमिक व प्राथमिक विद्यालय के 100 से ज्यादा बच्चों के स्वेटर के लिए भी शिक्षिकाओं को पैसा नहीं मिला है। इसके बावजूद विभाग की ओर से शिक्षकों पर दबाव बनाया जा रहा है कि जल्द से जल्द बच्चों के लिए स्वेटर खरीदें। उधर, शिक्षकों का कहना है कि बिना बजट के कहां से स्वेटर खरीदें। शहर के सरकारी प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में इन दिनों यही हाल है। सरकार की ओर से शिक्षकों को स्वेटर खरीदने का आदेश दिया गया है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों के लिए बजट जारी नहीं किया गया है। 9 जनवरी को बीएसए ने जो छुट्टी का आदेश जारी किया था, उसमें शिक्षकों को छुट्टियों में स्वेटर खरीदने के लिए लिखित आदेश जारी किया था। इस पर शिक्षकों का कहना है कि पहले तो बिना बजट के स्वेटर खरीदना संभव नहीं है और बजट नहीं मिलने के बावजूद हम बिना पैसे के शिक्षकों पर बनाया जा रहा स्वेटर खरीदने का दबाव बाजार के चक्कर लगा चुके हैं। लेकिन 200 रुपये में कोई स्वेटर नहीं मिला।