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बदायूं : उम्मीद-2018, सामुदायिक सहभागिता से बदलेगी विद्यालयों की तस्वीर

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बदायूं : उम्मीद-2018, सामुदायिक सहभागिता से बदलेगी विद्यालयों की तस्वीर

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जागरण संवाददाता, बदायूं:विद्यार्थियों के लिए आरओ का पानी, प्रोजेक्टर से बच्चों की पढ़ाई, परिसर में पौधों की क्यारी। यह नजारा किसी कांवेंट का नहीं, जिले के तमाम परिषदीय विद्यालयों का है। इसके लिए कोई सरकारी ग्रांट नहीं मिली बल्कि वर्ष 2017 में सामुदायिक सहभागिता ने विद्यालयों को नई ऊंचाइयां दी हैं। ग्रामीणों के सौजन्य से विद्यालय में बच्चों को हर सुविधा दी जा रही है। बच्चों की उपस्थिति दिन व दिन बढ़ रही है और ज्यादातर शिक्षक-शिक्षिकाएं भी समय का पालन करने लगे हैं। फलस्वरूप वर्तमान सत्र में जिले के तीन शिक्षक-शिक्षिका को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ है और स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए 123 विद्यालयों का चयन किया गया।

सरकारी विद्यालयों के नाम पर खानापूरी की शिक्षा ही दिमाग में आती थी। अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेजते तो कभी घर के कामों में लगाए रखते। जिससे शिक्षा प्रभावित होती गई। वर्ष 2017 में सत्र शुरू हुआ। बदलाव की किरण फूटने लगी। विकास क्षेत्र बिसौली के हर्रायपुर, मदनजुड़ी और विकास क्षेत्र जगत के उच्च प्राथमिक विद्यालय आमगांव सरीखे विद्यालय कांवेंट विद्यालयों को फेल करते नजर आए। उपस्थिति पर जोर रहा। डीएम दिनेश कुमार ने ताबड़तोड़ विद्यालयों के निरीक्षण शुरू किए। बदहाल बेसिक शिक्षा को सुधारने का निर्देश दिया। ग्रामीणों को भी जागरूक किया। जिला स्तर पर दक्षता परीक्षा कराई और अभिभावक व शिक्षक-शिक्षिकाओं को उनकी जिम्मेदारी से दो-चार कराया। परिषदीय विद्यालयों में बायोमीट्रिक से उपस्थिति व कैमरों तक की व्यवस्था हो गई। विभाग की ओर से बजट प्राप्त न होने के बाद भी ग्रामीणों के सहयोग से परिषदीय विद्यालय सुविधाओं के शिखर पर पहुंच रहे हैं।

इंसेट..

दक्षता परीक्षा के बाद दायित्व समझे अभिभावक

दक्षता परीक्षा की अनूठी पहल करने के बाद परिषदीय विद्यालयों की जैसे सूरत ही संवर गई। ग्रामीणों को डीएम ने जागरूक किया तो उन्होंने गांव जाकर विद्यालय के विकास की ठानी। वह अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं और घर का काम छोड़कर बच्चे को पढ़ने के लिए विद्यालय भेज रहे हैं।

हर विद्यालय में होगा शौचालय

वर्ष 2018 में हर परिषदीय विद्यालय में शौचालय होगा। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शौचालयों की मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है। अतिक्रमण करने वाले ग्रामीणों को समझाकर शौचालय मुक्त कराया जा रहा है।

बायोमीट्रिक से उपस्थिति, कैमरों से निगरानी

जिले के 18 बा विद्यालयों में बायोमीट्रिक मशीन से उपस्थिति का दौर शुरू हुआ है। शिक्षिकाओं के अलावा बालिकाओं की उपस्थिति भी मशीन से दर्ज की जा रही है। अनुपस्थित रहने पर शिक्षिकाओं का मानदेय भी काटा जाएगा। विद्यालयों की सुरक्षा के लिए गेट से लेकर भीतर कैमरे लगवाए गए हैं।

सर्दी आई तो बांटे गए स्वेटर

शासन की ओर से स्वेटर बांटने का फरमान तो जारी हुआ, लेकिन बजट नहीं मिला। बच्चे सर्दी में कांपते हुए विद्यालय पहुंचे तो शिक्षक-शिक्षिकाओं ने फिर ग्रामीणों से सहयोग मांगा और शासन से बजट मिले बिना बच्चों को स्वेटर मुहैया कराए गए।

बिजली से रोशन होगा हर विद्यालय

कई बार बजट मिलने के बाद भी जिले के 621 परिषदीय विद्यालयों में विद्युतीकरण नहीं है। वर्ष 2018 में इन सभी विद्यालयों में विद्युतीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही सभी विद्यालय बिजली से रोशन होंगे। यहां बल्ब की जगह एलइडी का उपयोग किया जाएगा।

विद्यालयों में लगने लगा फर्नीचर

शासन की ओर से परिषदीय विद्यालयों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं की गई है। बच्चों को ठंडी जमीन पर बैठे दिक्कत को देखते हुए बहुत से विद्यालयों में लोगों के सहयोग से फर्नीचर की व्यवस्था भी की है।

प्रोजेक्टर से पढ़ाई, बच्चे सीख रहे कैमरा चलाना

विकास क्षेत्र बिसौली के हर्रायपुर, गोठा, अंबियापुर के परिषदीय विद्यालयों में प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। हर्रायपुर के विद्यालय में बच्चों को कैमरा चलाना सिखाया जा रहा है। जिला स्तरीय कोई कार्यक्रम होने पर यहां के बच्चे ही कैमरा चलाते नजर आ जाते हैं।

वर्जन..

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वर्ष 2017 में विद्यालयों में काफी सुधार किया गया। बहुत से विद्यालयों में सामुदायिक सहभागिता से बच्चों को बहुत से सुविधाएं दी जा रही हैं। कई परिषदीय विद्यालयों में बायोमीट्रिक मशीन से उपस्थित हो रही है। कैमरों से निगरानी की जा रही है। जागरूक अभिभावक भी विद्यालय विकास की ओर ध्यान दे रहे हैं। वर्ष 2018 में भी परिषदीय विद्यालयों को कांवेंट की तर्ज पर बनाने का प्रयास जारी रहेगा।

- प्रेमचंद यादव, बीएसए

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