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नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ 4 जजों का विद्रोह, बोले-सुप्रीम कोर्ट में सब सही नहीं, खतरे में पड़ सकता लोकतंत्र

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नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ 4 जजों का विद्रोह, बोले-सुप्रीम कोर्ट में सब सही नहीं, खतरे में पड़ सकता लोकतंत्र

नई दिल्ली: विवादों को सुलझाने वाली शीर्ष न्यायिक संस्था खुद ही कठघरे में खड़ी हो गई है। एक अभूतपूर्व घटना में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्र के खिलाफ सार्वजनिक मोर्चा खोल दिया। आगाह किया कि संस्थान में सब कुछ ठीक नहीं है। स्थिति नहीं बदली तो संस्थान के साथ साथ लोकतंत्र भी खतरे में है। मीडिया के सामने आने के न्यायाधीशों के चौंकाने वाले फैसले ने न सिर्फ आंतरिक कलह को खोलकर सामने रख दिया है, बल्कि कानूनविदों को भी खेमे में बांट दिया। पूरे दिन यह अटकल रही कि जवाब में सीजेआइ भी अपना पक्ष रख सकते हैं। उन्होंने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से बात जरूर की, लेकिन मीडिया से दूर रहे। अटार्नी जनरल के मुताबिक, जजों को प्रेस कांफ्रेंस करने जैसे कदम से बचना चाहिए था।
शुक्रवार का दिन सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में अभूतपूर्व घटना के रूप में दर्ज हो गया। यूं तो कई मसलों पर कोर्ट के अंदर मतभेद की चर्चा होती रही है, लेकिन मीडिया से दूरी बनाकर रखने की सारी परंपराएं टूट गईं। व्यवस्था को लेकर बगावत हुई और आरोप भी लगाए गए। लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ में मोटी दरार दिखी। मुख्य न्यायाधीश के बाद वरिष्ठता में दूसरे से पांचवें क्रम के जजों यानी जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया से रूबरू होते हुए आरोप लगाया कि ‘सुप्रीम कोर्ट प्रशासन में सब कुछ ठीक नहीं है और कई ऐसी चीजें हो रही है जो नहीं होनी चाहिए। अगर यह संस्थान सुरक्षित नहीं रहा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा।’

सात पेज का पत्र किया जारी : जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि चारों जजों ने मुख्य न्यायाधीश को कुछ दिनों पहले पत्र लिखकर अपनी बात रखी थी। शुक्रवार को भी सुबह उनसे मुलाकात कर शिकायत की, लेकिन वह नहीं माने। इसीलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए उन्हें मीडिया के सामने आना पड़ा। उन्होंने मीडिया को सात पेज की वह चिट्ठी भी वितरित की जो जस्टिस मिश्र को लिखी गई थी। उसमें मुख्य रूप से पीठ को केस आवंटित किए जाने के तरीके पर आपत्ति जताई गई है। न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के एक मुद्दे का तो पत्र में उल्लेख है लेकिन माना जा रहा है कि यह खींचतान लंबे अर्से से चल रही थी। शायद सीबीआइ जस्टिस बीएच लोया की मौत का मुकदमा तात्कालिक कारण बना, जिस पर शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट की अन्य बेंच में सुनवाई थी। 1ऐसा करना तकलीफदेह : अपने आवास के लॉन में खचाखच भरे मीडिया कर्मियों से रूबरू जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि उन्हें बहुत भारी मन के साथ प्रेस के सामने आना पड़ा है क्योंकि ‘वह नहीं चाहते बीस साल बाद कोई बोले कि उन्होंने अपनी आत्मा बेच दी।’ सुप्रीम कोर्ट में तनातनी का आलम क्या है, इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि चिट्ठी में ही चारों जज ने साफ किया कि ‘मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम नहीं हैं। पीठ को केस आवंटित करने का उनका अधिकार भी केवल सामान्य परंपरा का हिस्सा है, कानून नहीं।’ एक सवाल के जवाब में जस्टिस रंजन गोगोई ने रैंक तोड़ने की बात से इन्कार करते हुए कहा-‘वह देश के प्रति अपने ऋण को चुका रहे हैं।’ ध्यान रहे कि जस्टिस गोगोई ही अगले मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। वैसे चारों न्यायाधीश वरिष्ठ हैं और कोलेजियम में मुख्य न्यायाधीश के अलावा ये ही चारों हैं। यह पूछने पर कि क्या वह जस्टिस मिश्र का महाभियोग चाहते हैं, जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा-‘अपने शब्द हमारे मुंह में न डालिए।’नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान, बाएं से क्रमश:, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कुरियन जोसेफ, जे.चेलमेश्वर, रंजन गोगोई और मदन लोकुर। प्रेट्र
देश के इतिहास में पहली बार शीर्ष अदालत के जजों ने की प्रेस कांफ्रेंस
हिल गई न्यायपालिका, गरमाई राजनीति
हमने मीडिया से बात करने का फैसला इसलिए किया, ताकि 20 साल बाद कोई यह न कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी।
जस्टिस जे. चेलमेश्वरकोई अनुशासन नहीं तोड़ रहा है। हम देश का कर्ज चुकाने का दायित्व निभा रहे हैं।
जस्टिस रंजन गोगोईपहला लेख : एक-दूसरे के खिलाफ खड़े जज-एन के सिंह
अग्रलेख : जनता की अदालत में जज।नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट के चार जजों के प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद शुक्रवार को भाकपा सांसद डी राजा ने जस्टिस चेलमेश्वर से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राजा ने कहा कि वह चेलमेश्वर को लंबे समय से जानते हैं। चूंकि जजों ने सार्वजनिक तौर पर अपनी शिकायत की है, तो यह विचार कि

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