औरैया : जनपद के 80 शिक्षक अधिकारियों की कृपा पर कई वर्षों से इधर उधर संबद्ध चल रहे हैं, शासन से किसी भी शिक्षक का संबद्धीकरण न किए जाने आदेश दिया गया
जागरण संवाददाता, औरैया : जनपद के 80 शिक्षक अधिकारियों की कृपा पर कई वर्षों से इधर उधर संबद्ध चल रहे हैं। शासन से किसी भी शिक्षक का संबद्धीकरण न किए जाने आदेश दिया गया है। कई बार शिकायतों के बाद भी स्थिति जस की तस है। हाल ही में एक संगठन द्वारा किए धरना प्रदर्शन के दौरान इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था। इस दौरान अधिकारियों ने संबद्ध शिक्षकों को उनके मूल विद्यालयों में वापस भेजने के आदेश भी जारी किए थे। लेकिन आज तक संबद्ध शिक्षक अपने विद्यालय नहीं पहुंचे हैं।
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए तरह-तरह के कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। लेकिन जनपद में इन स्कूलों में पढ़ाने वाले 80 शिक्षक इधर-उधर संबद्ध हैं। इससे जनपद में कई विद्यालय एक शिक्षक या शिक्षा मित्र के ही भरोसे हैं। शिक्षकों के संबद्धीकरण को लेकर भी शासन ने भी सख्त हिदायत दी है कि शिक्षक अपने मूल विद्यालय में ही कार्य करेंगे। इसके साथ ही कहा था कि जितने भी शिक्षक कार्यालयों में संबद्ध पर चल रहे हैं। उनका संबद्धीकरण तत्काल निरस्त किया जाए। जिससे बच्चों को सही शिक्षा मिल सके। संबद्धीकरण के निरस्तीकरण को लेकर यूटा के पदाधिकारियों द्वारा भी कुछ दिनों पहले एक अनशन किया गया था। इस पर जिलाधिकारी व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एसपी यादव ने जांच कराकर संबद्धीकरण निरस्त करने की बात कही थी। एक पखवारा बीतने के बाद भी अब तक इन शिक्षकों का संबद्धीकरण निरस्त नहीं किया गया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एसपी यादव ने बताया कि संबद्ध शिक्षकों की जांच चल रही है। सूची उपलब्ध होते ही उन्हें तत्काल उनके मूल विद्यालय भेज दिया जाएगा।
संबद्धीकरण में है खेल
सड़क से दूर गांव के स्कूल में जाने से बचने के लिए शिक्षक अपना संबद्धीकरण शहर व सड़क के किनारे के स्कूल में करा लेते हैं। वहीं कुछ बीईओ अपने चहेते शिक्षकों का संबद्धीकरण अपने कार्यालय के आसपास के स्कूल में कर लेते हैं। जब वह कहीं चे¨कग करने जाते हैं तो यही शिक्षक उनके साथ होते हैं। इन्हीं शिक्षकों के माध्यम से पूरा खेल होता है। इस खेल में नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी शामिल होते हैं। इसके चलते ही आंदोलन के बाद भी इनका संबद्धीकरण खत्म नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कुछ शिक्षक मोटी रकम खर्च कर लेखा कार्यालय व डायट पर अपना संबद्धीकरण करा लेते हैं। वह वहीं से अपना खेल करते हैं। कुछ शिक्षकों को स्कूल जाने का आदेश हो चुका है। लेकिन वह स्कूल न जाकर अपने संबद्धीकरण वाले स्थान पर ही डटे हैं।