आजमगढ़ : शिक्षा में प्रतिमान गढ़ रहीं प्रतिमा, उनके इस प्रयास से अभिभावक जहां बच्चों की शिक्षा को लेकर समर्पण को सराहते नहीं थकते वहीं प्रमुख मंचों पर वह सम्मानित भी हो चुकी
जागरण संवाददाता आजमगढ़ : सरकार करोड़ों रुपये शिक्षकों को तनख्वाह देकर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में लगी है लेकिन भारी भरकम तनख्वाह पाने के बाद भी शिक्षा की लौ कान्वेंट के मुकाबले रोशन नहीं हो पा रही है। ऐसे दौर में अगर कोई शिक्षक चंदा मांग कर शिक्षा के मंदिर को जहां चमका रहा है वहीं तनख्वाह से बच्चों को सारी सुविधा देकर कान्वेंट विद्यालयों को मात दे रहा है तो यह समाज के और शिक्षकों के लिए आईना है। इस तरह का काम कर रही हैं मार्टीनगंज प्राथमिक विद्यालय बर्रा द्वितीय की प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रतिमा उपाध्याय। उनके इस प्रयास से अभिभावक जहां बच्चों की शिक्षा को लेकर समर्पण को सराहते नहीं थकते वहीं प्रमुख मंचों पर वह सम्मानित भी हो चुकी हैं।
प्रतिमा उपाध्याय आजमगढ़-जौनपुर सीमा पर स्थित भकुरा गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने मार्टीनगंज विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय बर्रा द्वितीय पर 9 नवंबर 2015 को सहायक अध्यापक के पद पर कार्यभार संभाला। कुछ ही दिन बाद इन्हें प्रभारी प्रधानाध्यापक का भी चार्ज मिल गया। प्रतिमा उपाध्याय की मानें तो उनके दादा स्व. हरिरराम उपाध्याय भी आदर्श शिक्षक थे और उनकी मंशा थी कि बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर समाज को नई धारा से जोड़ा जाए लेकिन उनका मंसूबा पूरा नहीं हुआ और अल्पायु में निधन हो गया। यह बात उनके दिमाग में घर कर गई तो उन्होंने अपने दादा के अरमानों को पूरा करने का प्रयास किया। उनके विद्यालय में इस समय कुल 248 बच्चे नामांकित हैं। सभी बच्चों को कापी, पेंसिल, डेस्क, टाई, बेल्ट, थाली आदि वह पहले से प्रदान कर चुकी हैं। इसके अलावा अपने तनख्वाह के पैसे से ही उन्होंने पुस्तकालय भी खोला। इसमें बाल साहित्य व अन्य जानकारी परक किताबें भी रखीं गई हैं। तीन माह पूर्व विद्यालय के रंगरोगन का उन्होंने फैसला लिया। इसके लिए धन की कमी पड़ी तो गांव से लेकर ब्लाक तक लोगों से सहयोग मांगा। सहयोग से करीब 30 हजार व खुद के तनख्वाह का 30 हजार खर्च कर विद्यालय को पें¨टग कराकर मंदिर का रूप दे दिया। विद्यालय के चारों तरफ पें¨टग से कार्टून आदि जहां बने हैं वहीं कान्वेंट स्कूलों की तरह छात्रों की स्थिति को देखते हुए तहसीलदार ने कंप्यूटर उपहार स्वरूप दिया है। विद्यालय में विद्युतीकरण, लैपटाप के माध्यम से ज्ञानवर्धक फिल्में एवं पाठय वस्तु और जगह जगह नुक्कड नाटक भी करवाती हैं। विद्यालय की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने हेतु 'बाल संसद' का चयन किया। बाल मेला 'नवरंग' भी आयोजित हुआ। प्रतिमा का मंसूबा विद्यालय में प्रोजेक्टर, वाटर-कूलर, समबर्सिबल, बायोमैट्रिक मशीन और सरस्वती प्रतिमा की स्थापना का है।
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हमारा भारत देश महान
हमारा भारत देश महान है। हम भारत की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। एकता के बल पर ही हमने अंग्रेजों से आजादी छीनी है। इसलिए किसी भी विदेशी वस्तु का प्रयोग न करते हुए देश में बने उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा देना भी फर्ज है। देश से बड़ा कोई नहीं होता है। देश रक्षा सर्वोपरि है।
प्रशांत चंद्र, प्रबंधक सेंट जेवियर्स। फोटो :21सी:
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हमें सेना पर गर्व है
हमें अपने देश के आन-बान व शान की रक्षा के लिए कोई भी कुर्बानी देनी होगी, वह पीछे नहीं हटेंगे। ऐसे में युवाओं को प्रेरणा लेने की जरूरत है कि वह अपने मान सम्मान को बचाते हुए देश की एकता बनाए रखने में पूर्ण सहयोग करें। भारत की एकता ही हमारी शान है।
- डा. गीता ¨सह, ¨हदी विभागाध्यक्ष डीएवी। फोटो ::::22सी :::
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युवा पढ़ी को संभालने की जरूरत
आज भटक रहे युवा पीढ़ी को संभालने की जरूरत है। हमारी आजादी आगे के जीवन का मार्ग युवा ही प्रशस्त कर रहे हैं। भारत माता के सपूत होते हुए हमें अपनी मिट्टी को पहचानना होगा। ऐसे में हमें अपने शहीदों की कुर्बानियों को देखते हुए देश के लिए बेहतरी का नित्य प्रयास करना होगा तभी सच्ची आजादी के मायने होंगे।
योगेंद्र ¨सह, डीआईओएस कार्यालय। फोटो :::23सी:
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बाहरी तत्वों से सजग रहें
आज हम आजाद जरूर हैं लेकिन बाहरी तत्वों से हमें सजग रहने की जरूरत है। आज सीमा पर हमारे देश के सैनिक शहीद हो रहे हैं। उनकी कुर्बानियों को याद करते हुए देशहित में कार्य करें और युवाओं को प्रेरित करें।
रूद्र प्रताप अस्थाना, समाजसेवी। फोटो ::24सी ::
जागरण संवाददाता आजमगढ़ : सर्वशिक्षा अभियान के तहत सरकार करोड़ों रुपये शिक्षकों को तनख्वाह देकर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में लगी है लेकिन भारी भरकम तनख्वाह पाने के बाद भी तमाम शिक्षक अपने दायित्वों में भटक रहे हैं। ऐसे दौर में अगर कोई शिक्षक चंदा मांग कर शिक्षा के मंदिर को जहां चमका रहा है वहीं तनख्वाह से बच्चों को सारी सुविधा देकर कान्वेंट विद्यालयों को मात दे रहा है तो यह समाज के और शिक्षकों के लिए आईना है। इस तरह का काम कर रही हैं मार्टीनगंज प्राथमिक विद्यालय बर्रा द्वितीय की प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रतिमा उपाध्याय। उनके इस तरह के कार्य से अभिभावक जहां उन पर कायल हैं वहीं कई बार वह सम्मानित भी हो चुकी हैं।
प्रतिमा उपाध्याय आजमगढ़-जौनपुर बार्डर की गांव भकुरा की रहने वाली है। वह मार्टीनगंज विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय बर्रा द्वितीय पर 9 नवंबर 2015 को सहायक अध्यापक के पद पर कार्यभार संभालीं। कुछ ही दिन बाद इन्हें प्रभारी प्रधानाध्यापक का भी चार्ज मिल गया। प्रतिमा उपाध्याय की मानें तो उनके दादा स्व. हरिरराम उपाध्याय भी आदर्श शिक्षक थे और उनकी मंशा थी कि बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर समाज को नई धारा से जोड़ा जाए लेकिन उनका मंसूबा पूरा नहीं हुआ और अल्पायु में मृत्यु हो गई। यह बात उनके दिमाग में घर कर गई तो उन्होंने अपने दादा के अरमानों को पूरा करने का प्रयास किया। उनके विद्यालय में अब तक कुल 248 बच्चे नामांकित है। सभी बच्चों को कांपी, पेंशन, डेस्क, टाई, बेल्ट, थाली आदि ही वह पहले से प्रदान कर चुकी हैं। इसे अलावा अपने तनख्वाह के पैसे से ही वह पुस्तकालय खोलीं। इसमें सभी किताबें व अन्य मनोरंजन की किताबें भी रखीं गई हैं। तीन माह पूर्व विद्यालय के रंगरोगन का उन्होंने फैसला लिया। इसके धन की कमी हो रही थी। वह गांव से लेकर ब्लाक तक लोगों से चंदा मांगा। चंदा का करीब 30 हजार व खुद के तनख्वाह का 30 हजार खर्च कर वह विद्यालय को पें¨टग कराकर मंदिर का रूप दे दी हैं। विद्यालय के चारों तरफ पें¨टग से कार्टून आदि जहां बनें हैं वहीं कान्वेंट स्कूलों की तरह छात्रों की स्थिति को देखते हुए तहसीलदार ने कंप्यूटर उपहार स्वरूप दिया है। विद्यालय में विद्युतीकरण, लैपटाप के माध्यम से ज्ञानवर्धक फिल्में एवं पाठय वस्तु और जगह जगह नुक्कड नाटक भी करवाती हैं। विद्यालय की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने हेतु Þबाल संसदÞ का चयन किया। बाल मेला ÞनवरंगÞ भी आयोजित हुआ। प्रतिमा का मंसूबा विद्यालय में प्रोजेक्टर ,वाटर-कुलर, समबर्सिबल, बायोमैट्रिक मशीन और सरस्वती प्रतिमा की स्थापना है।
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हमारा भारत देश महान
हमारा भारत देश महान है। हम भारत की एकता व अखंडता को अक्षुण्य बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। एका के बल पर ही हमने अंग्रेजों से आजादी छीनी हैं। इसलिए अंग्रेजी किसी भी सामान का प्रयोग न कर देश की सामान का प्रयोग करते हैं। लोगों को प्रेरित भी करते हैं कि विदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। देश से बड़ा कोई नहीं होता है। देश रक्षा सर्वोपरि है।
फोटो :21सी:प्रशांत चंद्र : प्रबंधक सेंट जेवियर्स।
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हमे देश के सेना पर गर्व है
हम भारत देश के नागरिक है। हमें अपने देश के आन-बान व शान की रक्षा के लिए कोई भी कुर्बानी देनी होगी, वह पीछे नहीं हटेंगे। ऐसे में युवाओं को प्रेरणा लेने की जरूरत है कि वह अपने मान सम्मान को बचाते हुए देश की एका बनाने में पूर्ण सहयोग करें। भारत की एकता ही हमारी शान है।
फोटो ::::22सी :::डा. गीता ¨सह : ¨हदी विभागाध्यक्ष डीएवी।
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युवा पढ़ी को संभालने की जरूरत
आज भटक रहे युवा पीढ़ी को संभालने की जरूरत है। हमारी आजादी आगे के जीवन का मार्ग युवा ही प्रशस्त कर रहे हैं। भारत माता के सपूत होते हुए हमे अपनी मिट्टी को पहचानना होगा। वर्तमान दौर में युवा रास्ते से भटक गया है। ऐसे में हमें अपने शहीदों की कुर्बानियों को देखते हुए देश के लिए मरना मिटना होगा। तभी सच्ची आजादी है।
फोटो :::23सी: योगेंद्र ¨सह : डीआईओएस कार्यालय।
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बाहरी तत्वों से सजग रहें
आज हम आजाद जरूर है लेकिन बाहरी तत्वों से हमें सजग रहने की जरूरत है। आज सीमा पर हमार देश के सैनिक शहीद हो रहे हैं। उनकी कुर्बानियों को याद करते हुए देशहित में कार्य करें और युवाओं को प्रेरित करें।
फोटो ::24सी ::रूद्र प्रताप अस्थाना, समाजसेवी।