रामपुर : लगातार पढ़ने के बजाय बीच में ब्रेक भी जरूरी
रामपुर : सीबीएसई और यूपी बोर्ड परीक्षा करीब आ गई हैं। इस दौरान सभी बच्चे पढ़ाई में जुटे हैं। वहीं अभिभावकों का भी बच्चों पर पढ़ाई करने के लिए काफी प्रेशर है। इस कारण बहुत से बच्चे अपनी पढ़ाई के कारण अपनी आम दिनों की नियमित दिनचर्या छोड़ देते हैं। इनमें कुछ बच्चे आउटडोर गेम्स आदि को भी छोड़ देते हैं। ऐसा करने से बच्चे को परीक्षा की ज्यादा टेंशन हो सकती है। इससे वे बीमार पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि खेलने से शरीर स्वस्थ और तरोताजा रहता है। इससे परीक्षा का तनाव भी दूर करने में मदद मिलती है। तनाव मुक्त होकर पढ़ाई करने से बच्चा ठीक से याद कर सकता है। इसके अलावा क्षमता के अनुसार खेलना चाहिए। ज्यादा खेलने से भी नुकसान होता है। ज्यादा खेलने से शरीर थक सकता है और थके हुए शरीर से पढ़ाई नहीं हो पाएगी।
जेआर हास्पिटल के जनरल फिजीशियन एंड न्यूरो फिजिशियन डॉ. दिवाकर कुमार ¨सह ने बताया कि लगातार कई घंटे पढ़ने से थकान हो जाती है। इससे काफी देर पढ़ने के बाद भी बच्चा उतनी तेजी से याद नहीं कर पाता जितना कि रिलेक्स मन से याद कर सकते हैं। इसलिए बच्चे को परीक्षा की तैयारी के दौरान बीच-बीच में थोड़ा ब्रेक देना चाहिए। ब्रेक के समय अगर बच्चे का खेलने का मन हो तो कुछ देर के लिए वह अगर पार्क में खेलेगा तो इससे काफी रिलेक्स मिलेगा। इसके लिए बच्चा बास्केटबॉल, फुटबॉल, टेनिस, बैड¨मटन, क्रिकेट आदि खेल सकते हैं। इससे खेल के दौरान बच्चे का परीक्षा की टेंशन से मन हट जाएगा। इसके बाद अगर बच्चा पढ़ेगा तो उसका मन एकाग्र रहेगा और वह ठीक से याद कर सकता है। इसलिए तनाव दूर करने में खेल काफी मदद करता है। इससे शारिरिक व्यायाम भी होता है। कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। इसलिए परीक्षा के दौरान बच्चे को अपनी क्षमता के अनुसार कुछ समय के लिए ही खेलना चाहिए। ज्यादा खेलने से भी विपरीत असर पड़ेगा। ज्यादा देर खेलने से शरीर थक सकता है और थकने के बाद बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता। इसलिए क्षमता के अनुसार ही खेलें और इसके बाद पढ़ें तो पढ़ने में अच्छा मन लगेगा। कहा कि खेलने से शारीरिक व्यायाम होता है। इससे कुछ हारमोन्स शरीर को आराम पहुंचाते हैं। पढ़ने के कारण दिमाग को जो तनाव होता है, उससे भी काफी राहत मिलती है। खेलने से हमारे शरीर में रक्त संचार ठीक रहता है। दिमाग में रक्त का प्रवाह बढ़ता है। खेलने से तनाव कम होता है और दिमाग शांत रहता है। इसलिए परीक्षा के दौरान खेलने के बाद भी बच्चे परीक्षा में अच्छे नंबर ला सकते हैं। खेल में चुनौतियों का सामना करने से
आत्मविश्वास भी बढ़ता है, एकाग्रता पहले से बेहतर होती है। खेल हमें नाकामियों का सामना करने का जज्बा देते हैं। परीक्षा की तैयारी के समय लगातार कई घंटों तक पढ़ने से ध्यान हटने लगता है और बीच में कुछ देर ब्रेक लेकर, खेलने के बाद दोबारा से मन एकाग्र कर पढ़ने से जल्दी याद होता है। इसलिए पढ़ाई के साथ खेल भी जरूरी है।