लखनऊ : बकाया वेतन भुगतान के चार साल इंतजार पर कर्मचारी आंदोलित
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : वेतन की जो रकम दो साल पहले के लिए तय हुई थी, उसे हासिल करने के लिए अब दो साल और इंतजार करने के सरकारी फरमान ने राज्य कर्मचारियों में उबाल ला दिया है। पिछले साल चुनाव की ओर बढ़ती सरकार को देखकर और फिर नई सरकार को समय देने के लिहाज से वर्ष 2017 में कमोबेश शांत रहे कर्मचारी अब नए साल में चुप न बैठने का संकल्प ले रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कर्मचारियों की चुप्पी को कमजोरी न समझने और समस्याओं के समाधान के प्रयास शुरू न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है
मामला सातवें वेतनमान का है। बढ़ा हुआ यह वेतनमान एक जनवरी, 2016 से लागू होना था। राज्य सरकार ने प्रदेश में इसे एक जनवरी, 2017 से लागू किया था। तत्कालीन सपा सरकार ने राज्य कर्मचारियों को आश्वस्त किया था कि वर्ष 2016 का बकाया वेतन उन्हें अक्टूबर में दिया जाएगा। विधानसभा चुनाव के बाद मार्च में भाजपा सरकार आने पर भी कर्मचारियों को अक्टूबर में बकाया मिलने की उम्मीद बनी रही। अक्टूबर आया तो तीन महीने बाद दिसंबर का वादा किया गया। दिसंबर आया तो बकाया भुगतान की जगह कर्मचारियों को ऐसा फामरूला थमा दिया गया कि वे भड़क उठे। शासन ने तय किया कि वर्ष 2016 के बकाया वेतन का 50 फीसद वित्तीय वर्ष 2018-19 में और शेष 50 फीसद वित्तीय वर्ष 2019-20 में दिया जाएगा।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने इसे उकसाने वाला कदम करार दिया है। तिवारी के मुताबिक यह पहली बार है कि जब सरकार राज्य कर्मचारियों को बकाया वेतन नहीं दे पा रही है