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एटा : ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित परिषदीय स्कूलों का हाल, नहीं बनी समिति, प्राथमिक स्कूल बदहाल

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एटा : ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित परिषदीय स्कूलों का हाल, नहीं बनी समिति, प्राथमिक स्कूल बदहाल

जागरण संवाददाता, एटा : ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित परिषदीय स्कूलों का हाल किससे छुपा है। कहीं जर्जर भवन तो बुनियादी सुविधाओं को बच्चे तरसते देखे जा सकते हैं। स्कूल बन गए, खिड़कियां गायब हैं, फर्श टूटे हैं। इसके बावजूद प्रशासन की मंशा होते हुए भी ग्राम प्रधानों को शिक्षा के मंदिरों में कार्य कराने के लिए ख्याल नहीं आ रहा। यही वजह है कि जिलाधिकारी के निर्देशों के बावजूद अभी तक ब्लॉक स्तर पर समितियों का गठन नहीं हुआ है।

पिछले कई सालों से न्यायालय से लेकर शासन स्तर से स्कूलों की दशा सुधारने के लिए दिशा-निर्देश जारी हो रहे हैं। पहले शिक्षा विभाग के पास बजट नहीं होने का रोना रोया जाता था, लेकिन अब तो सुधार के लिए विकल्प उपलब्ध हो चुका है, लेकिन कार्रवाई ग्रामीण स्तर पर शुरू होते नहीं दिख रही। विभाग और प्रशासन के पास स्कूलों में तमाम कार्यों की जरूरत को लेकर शिक्षकों के प्रार्थना पत्रों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी ने राज्य वित्त और 14वें आयोग के बजट से ग्राम पंचायत के प्रधानों को कार्य करने के लिए दिसंबर के पहले पखवाड़े में निर्देश जारी कर दिए। इन निर्देशों में निर्धारित स्कूल संबंधी विकास कार्यों को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई। इसके बावजूद हाल यह है कि प्रधान स्कूल संबंधी कार्यों में कोई रुचि लेते हुए दिखाई नहीं दे रहे हैं।

निर्देशों के तहत हर ब्लॉक स्तर पर खंड विकास अधिकारी, खंड शिक्षाधिकारी और सहायक विकास अधिकारी की टीमें गठित की जानी थीं। जिनके समक्ष ब्लॉक की ग्राम पंचायतों के स्कूलों में कार्य कराए जाने के लिए प्रस्तावों पर चर्चा के बाद बजट के लिए एस्टीमेट तैयार कराने के बाद इसी वित्तीय वर्ष में काम कराया जाना भी तय किया। धीरे-धीरे प्रशासनिक निर्देश को एक पखवाड़ा गुजर चुका है, लेकिन हर स्तर पर ढील नजर आ रही है। अभी तो ब्लॉक स्तर पर न तो समितियों का गठन किया गया और ग्राम प्रधानों ने स्कूलों में जाकर वहां कराए जाने वाले कार्यों को लेकर प्रस्ताव तैयार नहीं कराए हैं।

पूरे जिले में किसी विद्यालय को लेकर प्रस्ताव ब्लॉक से जिला स्तर पर न आने जैसी स्थिति से साफ है कि ग्राम प्रधान स्कूलों के विकास को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। शिक्षकों द्वारा उनके समक्ष विकास संबंधी समस्याएं पहुंचाई जा रहीं हैं, लेकिन वह नजरअंदाज कर रहे हैं। कई तो ऐसे हैं जोकि यह कहते नजर आ रहे हैं कि उनके पास कोई आदेश नहीं है। उधर मुख्य विकास अधिकारी उग्रसेन पांडेय का कहना है कि दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया जाए अन्यथा स्कूलों में कार्य न होने पर प्रधान जिम्मेदार होंगे।

यह कार्य हैं प्रस्तावित

दरवाजे, खिड़कियां, फर्नीचर, टूटे फर्श का जीर्णोद्धार, टायल, दीवारों का पेंट, शौचालय, बाउंड्रीवॉल, टूटा हुआ प्लास्टर, सबमरसिबल, हैंडपंप, पौधरोपण, शैक्षिक प्रचार को दीवार लेपन, मिड-डे-मील शेड, हैंडवॉश, वास्वेशन आदि।

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