लखनऊ : अब किताबें भी समय से नहीं पहुंचेंगी स्कूल, अभी तक किताबों का टेण्डर नहीं हुआ प्रकाशित
प्रमुख संवाददाता- राज्य मुख्यालय । प्राइमरी स्कूल के बच्चों को स्वेटर बांटने में किरकिरी झेल चुकी राज्य सरकार ने इससे सबक नहीं लिया है। राज्य सरकार ने अभी तक निशुल्क दी जाने वाली किताबों का टेंडर नहीं निकाला है। ऐसे में अप्रैल में किताबों का स्कूल पहुंच पाना नामुमकिन लग रहा है। राज्य सरकार लगभग 1.90 करोड़ बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें देती है।
राज्य सरकार ने पहली बार सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्वेटर बांटने का निर्णय तो ले लिया लेकिन उस पर अमल करने में इतनी देरी कर दी कि सर्दी लगभग बीत गई। प्रदेश के 1.54 करोड़ बच्चों में से लगभग 16 लाख बच्चे ही अभी स्वेटर पहन पाए हैं लेकिन राज्य सरकार ने इससे सबक नहीं लिया है और किताबें अभी छपने भी नहीं जा पाई हैं।
जनवरी लगभग बीत चुकी है और टेण्डर तक आमंत्रित नहीं किए गए हैं। टेंडर निकालने के लिए अधिकारी राज्य सरकार से हरी झण्डी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश के सभी सरकारी व सहायताप्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को निशुल्क पाठ्यपुस्तकें दी जाती हैं। लगभग 1.90 बच्चों के लिए लगभग 10 करोड़ किताबें छापी जाती हैं। इनके छपने के लिए 30-35 प्रकाशकों का एक समूह बनाया जाता है। छपने से लेकर स्कूलों तक पहुंचने में लगभग तीन महीने का समय लगता है।
बीते वर्षों पर नजर डालें तो बेसिक शिक्षा विभाग में किताबों का प्रकाशन हमेशा से विवादों में रहा है। बीते दो-तीन वर्षों से टेण्डर निकलने और निरस्त होने की परम्परा बनती जा रही है। बीते वर्ष भी टेण्डर निरस्त होने के बाद दोबारा टेण्डर निकाला गया। मई में टेण्डर निकाले गए और जुलाई से किताबें बंटना शुरू हुई। पूरे प्रदेश में किताबें बंटते-बंटते सत्र भी समाप्ति की ओर पहुंच गया था।