फतेहपुर : परिषदीय स्कूलों के विद्युतीकरण की योजना कागजों में सीमित होकर रह गई है कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : परिषदीय स्कूलों के विद्युतीकरण की योजना कागजों में सीमित होकर रह गई है कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। कारण कि विभाग के अभिलेखों में 1142 विद्यालयों का विद्युतीकरण हो चुका है और धरातल पर ऐसे विद्यालय खोजने से नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसी दशा में शासन की मंशा पर चोट पहुंच रही है। गर्मी के दिनों में हवा के लिए पंखे का लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है।
जिले में 2650 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। शासन ने वर्ष 2009 से विद्यालयों के बारी बारी से विद्युतीकरण कराने का आदेश दिया था। विद्युतीकरण के मद में आए धन को बेसिक शिक्षा विभाग ने विद्युत विभाग के खाते में भेज दिया। विद्युत विभाग की कार्यशैली बेहद सुस्त है, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। झोली में धन आने के बाद विद्युतीकरण के काम को निर्धारित अवधि में पूरा न कर पाना काम रहा है। जिले के 2650 विद्यालयों में भले ही 1142 विद्यालयों में विद्युतीकरण कराया गया हो, लेकिन धरातल पर इस सुविधा का लाभ बच्चे और तैनात शिक्षक-शिक्षिकाएं उठा नहीं पा रहे हैं। विद्यालयों के पास लगे खंभे से घरों में केबिल जाती हुई मिल जाएगी, लेकिन स्कूल की इमारत सूनी है। बीएसए शिवेंद्र प्रताप ¨सह ने बताया कि अब तक 1142 विद्यालयों में विद्युतीकरण के काम का पैसा विभाग को दिया जा चुका है। विद्यालयों में कनेक्शन न पाए जाने की दशा में लिखा पढ़ी की गई है। डीएम को पत्र लिखकर मामले को सुलझाया जाएगा।
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दोनों विभागों में सामंजस्य की कमी
- स्कूलों के विद्युतीकरण योजना में विद्युत विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग में सामंजस्य नहीं है। जिसकी वजह विद्यालयों में कनेक्शन के बाद केबिल और मीटर चोरी अहम मुद्दा है। बेसिक शिक्षा विभाग के पास भी इस कनेक्शन की रखवाली करने का कोई साधन नहीं है। विद्युत विभाग इस तरह की कई चोट खा चुका है तो उसने भी पास फेंकते हुए कागजों में विद्युतीकरण का खेल खेल डाला। जिससे दोनों विभागों में लंबे समय से तनातनी चल रही है। एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं।
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प्राथमिक विद्यालय : 1903
उच्च प्राथमिक स्कूल : 747
विद्युतीकरण वाले स्कूल : 1142
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चुनाव के समय वाले कनेक्शन हुए गायब
- विधानसभा चुनाव के समय आयोग के दिशा निर्देश पर मतदेय स्थल बने स्कूलों में विद्युतीकरण अनिवार्य किया गया था तो विद्युत विभाग की टीम ने आनन फानन खंभे से केबिल खींचकर काम पूरा दिखा दिया। विभागीयों का आरोप है कि यह केबिल बाद में विभाग ने खुद उतरवा लिए। जिससे फिर से स्कूल विद्युतीकरण योजना से वंचित हो गए। जबकि विभाग के खाते में चालू सत्र में 661 विद्यालयों के विद्युतीकरण का धन भेज गया है। इस योजना में प्रत्येक विद्यालय में कनेक्शन और मीटर के नाम पर 6,900 रुपये अदा किए गए थे। बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि अगर विद्युतीकरण हुआ है तो फिर मीटर की रसीद प्रधानाध्यापक को क्यों नहीं दी गई।