इलाहाबाद : भर्ती परीक्षाओं में विशेषज्ञ बढ़ा रहे विवाद, प्रश्नों के गलत जवाब के मामले सर्वाधिक, चयन बोर्ड, उच्चतर आयोग और टीईटी आदि की उत्तरकुंजी पर सवाल
इलाहाबाद । माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र में 547 पदों के सापेक्ष 669 अभ्यर्थियों का चयन की नौबत प्रश्नों के गलत जवाब को लेकर ही आई है। अभ्यर्थी और विशेषज्ञ दोनों अपने उत्तर पर अड़े रहे, उत्तर पुस्तिकाओं का तीन बार मूल्यांकन हुआ। प्रकरण हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद प्रकरण का पटाक्षेप जरूर हुआ लेकिन, प्रतियोगी परीक्षाओं से प्रश्नों उत्तर का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
विशेषज्ञों पर गंभीर सवाल की इधर की शायद ही कोई परीक्षा हो, जिसकी उत्तरकुंजी में बड़े पैमाने पर प्रत्यावेदन न मिले हों। परिणाम जारी करने से पहले ही प्रश्न डिलीट करने के बाद भी अभ्यर्थी लगातार सवाल उठा रहे हैं। इसमें पीसीएस-2016 की प्रारंभिक परीक्षा जैसे अहम इम्तिहान तक शामिल हैं। पीसीएस-जे 2013 का रिजल्ट आयोग को बदलना पड़ा था तो 2015 का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है। पीसीएस, लोअर सबॉर्डिनेट समेत कई अन्य परीक्षाओं के रिजल्ट को भी अभ्यर्थियों ने कोर्ट में चुनौती दी है। आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 2013 में आयोग के चेयरमैन को कोर्ट ने तलब किया था। अब यह मामला सुप्रीमकोर्ट में है। यही नहीं कोर्ट विशेषज्ञों पर तल्ख टिप्पणी करके उन्हें बदलने का आदेश दे चुका है।
चयन बोर्ड और उच्चतर आयोग भी गलत जवाब से अछूता नहीं : चयन बोर्ड में 2013 की लिखित परीक्षा के परिणाम के बाद कई विषयों के गलत जवाब का प्रकरण हाईकोर्ट तक पहुंचा है। शारीरिक शिक्षा के प्रश्नों का मामला अब तक हल नहीं हुआ। ऐसे ही उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी तमाम विषयों का मामला अब भी कोर्ट में है। वहां भी कई-कई बार उत्तरकुंजी को बदलना पड़ा है।