उन्नाव : मोबाइल पाठशाला में रचना तराश रही देश का भविष्य
जागरण संवाददाता, उन्नाव: मुश्किलों का डटकर मुकाबला करने वाली रचना ने पहले तो राजस्व विभाग में लेखपाल बनने का कैरियर चुना। अत्यंत व्यस्तता वाले अपने काम के बीच गरीब बच्चों को पढाना शुरू कर दिया। पहली पगार मिलने के बाद उसने अपने कार्य क्षेत्र में ही ऐसे बच्चों की तलाश की जो किन्हीं कारण से स्कूल नहीं जाते, उनको इकट्ठा करके बाइक पर ही श्यामपट लगाकर जहां जगह मिलती अपनी पाठशाला शुरू कर देती। पाठशाला का स्थान तय नहीं बल्कि कोई भी साफ सुथरी जगह चुन ली जाती। आज एक वक्त में उसकी पाठशाला में करीब 50 बच्चे प्रतिदिन पढ़ रहे हैं।
नगर पालिका क्षेत्र शुक्लागंज में रहने वाली रचना की पहल दूसरे सरकारी कर्मियों के लिए मिसाल बन रही हैं। रचना अब केवल राजस्व लेखपाल नहीं बल्कि करीब 120 बच्चों में किसी की दीदी, तो किसी की बुआ या टीचर दीदी बन गई है। मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाली रचना के पिता की आय कम होने से बड़े स्कूल में उसे शिक्षा नहीं मिली। लेकिन पिता ने उसे पढ़ने से कभी नहीं रोका। रचना कहती हैं कि उनका सपना था कि वह पढ़ लिख कर टीचर बने और ऐसे बच्चों को शिक्षित करें जिन्हें किन्हीं कारणों से पढाई कर पाना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। वह टीचर तो नहीं लेखपाल बन गई, पर उसने अपनी इच्छा को जीवित रखा। कुछ दिन नौकरी के बाद जैसे ही उसे पहला वेतन मिला वह उससे अपना सपना पूरा करने की तैयारी में निकल पड़ी। इसी बीच गंगाघाट क्षेत्र में उसे ऐसे बच्चे भी मिले जो किन्हीं कारणों से स्कूल नहीं पहुंचे। रचना ने उनको इकट्ठा किया और अपनी मोबाइल पाठशाला में उन्हें पढ़ाने का फैसला ले लिया। इस बीच कई बच्चों के परिजनों ने उन्हें पाठशाला में भेजने से मना भी किया। इसके बाद उसने गंगा के किनारे जो बच्चे मिले उन्हीं को पढ़ाना शुरू कर दिया। आज रचना हर रोज ड्यूटी के पहले और बाद में बच्चों को क्लास चलाती है। उनके लिए पढ़ने लिखने की सामग्री का बंदोबस्त भी वह खुद के पैसों से करती है। उसकी लगन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 8-10 बच्चों से शुरू हुई उसकी पाठशाला में आज करीब 120 बच्चे पढ़ने आने लगे हैं।
जय हो फाउंडेशन ने भी बढ़ाया हाथ
रचना का हौसला और निरक्षर बच्चों को साक्षर करने का जज्बा देख जय हो फाउंडेशन नामक ग्रुप ने भी उसकी इस मुहिम में हाथ बंटाना शुरू किया है। वहीं उसके साथ इस अभियान में जय ¨सह, अभय, अनीता, अभिलाषा, विवेक, प्रियंका, स्वेता, अंकित, शिल्पा, विकास, रानू, अर्पित, ओम, कुलदीप, पियूष आदि उसका साथ दे रहे हैं।
नौकरी के साथ पाठशाला चलाने से बढ़ा मान
रचना खलीलाबाद में लेखपाल हैं। वहां राजस्व विभाग में नौकरी करने के बाद वह इस काम को कर रही हैं। जिसे भी यह पता चलता है उसकी नजरों में रचना के प्रति इज्जत और बढ़ जाती है।