लखनऊ : यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन के लिए पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग
हिन्दुस्तान टीम, लखनऊ । अगले शैक्षिक सत्र से राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम लागू करने की घोषणा के साथ ही शिक्षकों ने यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में मूल्यांकन का पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग की है। राज्य सरकार अगले वर्ष से कक्षा 9 व 11 में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने जा रहा है।
शिक्षकों का कहना है कि सीबीएसई के स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम ही चलता है। सीबीएसई की कॉपियां जांचने वाले शिक्षकों को यूपी बोर्ड के मुकाबले चार गुना पारिश्रमिक मिलता है। लिहाजा अब यूपी बोर्ड के शिक्षकों का पारिश्रमिक बढ़ाया जाना चाहिए। माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव लाल मणि द्विवेदी ने कहा, शिक्षक लम्बे समय से पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार इसे न के बराबर ही बढ़ाती है।
2013 से पहले, यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कॉपी जांचने के लिए क्रमश: 4 व 5.50 रुपये प्रति कॉपी दिया जाता था। लम्बे संघर्ष के बाद 2013-14 से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की कॉपी जांचने के लिए क्रमश: 6 व 7 रुपये कर दिया। इसे 2016-17 के दौरान शैक्षिक सत्र को हाईस्कूल के लिए 8 रुपये और इंटरमीडिएट के लिए 10 रुपये प्रति कॉपी कर दिया गया। जबकि सीबीएसई, कक्षा 10 के लिए 32 रुपये और कक्षा 12 की कॉपी जांचने के लिए 40 रुपये प्रति कॉपी देती है।
श्री द्विवेदी ने कहा कि यूपी बोर्ड 2018-19 के शैक्षणिक सत्र के लिए एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को अपनाने के लिए तैयार है तो इसके साथ ही मूल्यांकन के पारिश्रमिक में भी संशोधन करना चाहिए। इससे हम गुणवत्ता पर फोकस रहेंगे। अभी एक शिक्षक एक दिन में 40 से ज्यादा कॉपियां जांचने की कोशिश करता है लेकिन जब उसे एक कॉपी के 40 रुपये मिलेंगे तो वह गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देगा। यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने कहा कि बोर्ड की मूल्यांकन के पारिश्रमिक को बढ़ाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।