महराजगंज : दुष्यंत कुमार का शेर है, वे मुतमइन है कि पत्थर पिघल नहीं सकता। मैं बेकरार हूं आवाज में असर के लिए। इसको चरितार्थ कर रहीं हैं तराई के जनपद महराजगंज की बेटी शिखा मिश्रा, जिन्हें बेटियों को स्वावलंबी बनाने का है जुनून सवार - नीरज श्रीवास्तव की कलम से ।
महराजगंज: दुष्यंत कुमार का शेर है, वे मुतमइन है कि पत्थर पिघल नहीं सकता। मैं बेकरार हूं आवाज में असर के लिए। इसको चरितार्थ कर रहीं हैं तराई के जनपद महराजगंज की बेटी शिखा मिश्रा, जिन्हें बेटियों को स्वावलंबी बनाने का जुनून सवार है। इन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने जीवन की संभावना की तलाश की और एक मुकाम पर पहुंचते ही लड़कियों को छुई-मुई की छवि से अलग उठकर उन्हें निश्शुल्क'आत्मरक्षा (मार्शल आर्ट) का गुर सीखाकर स्वावलंबी बनाने के अभियान में जुटी हैं।
महराजगंज जिले के आनंदनगर तहसील अंतर्गत विकास नगर वार्ड नंबर तीन निवासी शिक्षक अखिलेश कुमार मिश्र की पुत्री शिखा मिश्रा बचपन से ही काफी होनहार रही। मार्शल आर्ट में खुद दर्जनों कांस्य, रजत व स्वर्ण पदक प्राप्त किया। समय ने साथ दिया और राजस्थान की भूमि को अपनी कर्मभूमि बनाई। मार्शल आर्ट के जरिये यहां लड़कियों को सामर्थवान बनाने के लिए पुरजोर परिश्रम किया। जिसका परिणाम है, उनके ही प्रशिक्षण में निकली खिलाड़ी पूर्णिमा पाठक का बंगला देश (ढाका) में होने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ है। इसके अलावा आधा दर्जन बालिकाओं ने भी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल हो पदक प्राप्त कर क्षेत्र व गुरु का नाम रोशन किया। इनके प्रशिक्षण शिविर में वर्तमान में 45 लड़कियां मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। महराजगंज में शिखा द्वारा शिक्षा ग्रहण की गई शिक्षण संस्थाओं में भी इनकी इस उपलब्धि को बालिकाओं में नजीर के रूप में पेश किया जाता है।
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महिलाओं को स्वावलंबी होना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद के माध्यम से भी नौकरी प्राप्त की जा सकती है। मेरी शिक्षक माता किरन मिश्रा ने बचपन से ही मुझे प्रेरित करने का काम किया। जिसका परिणाम है कि मैं आज इस मुकाम पर हूं। अब महराजगंज जैसे पिछड़े इलाके की लड़कियों को भी आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देकर इनके प्रतिभा को सामने लाने का प्रयास किया जाएगा।
शिखा मिश्रा, सचिव
कुशाश एवं जूडीतसु एसोसिएशन आफ टाक डिस्ट्रीक