देवरिया : बाजार से स्वेटर नदारद, सांसत में महकमा, परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को मैरून रंग का स्वेटर उपलब्ध कराने में मुश्किलें आ रही ।
देवरिया: परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को मैरून रंग का स्वेटर उपलब्ध कराने में मुश्किलें आ रही हैं। बाजार में पर्याप्त मात्रा में निर्धारित रंग का स्वेटर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में महकमा सांसत में पड़ गया है। शासन के दवाब में विभागीय अफसरों के इस ठंड में पसीने छूट रहे हैं। 2.31 लाख बच्चों के सापेक्ष महज पांच हजार बच्चों को ही स्वेटर उपलब्ध कराया जा सका है। ऐसे में स्वेटर की उपलब्धता सुनिश्चित कराना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। इसके लिए बच्चों को इंतजार करना पड़ सकता है।
शासन की तरफ से परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को स्वेटर उपलब्ध कराने का दावा महज खोखला साबित हो रहा है। जिले में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब 2.31 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को ठंड से पहले स्वेटर उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा थी, लेकिन सरकार ई-टेंडर के झमेले में उलझी रही और स्वेटर उपलब्ध कराने में नाकाम रही। देरी देखकर शासन ने स्वेटर वितरण की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंध समिति के हवाले कर दिया, लेकिन संपूर्ण धनराशि मुहैया कराने की बजाय 50 फीसद ही धनराशि मुहैया कराया गया है। शासन ने 2.31 लाख बच्चों के लिए 2.37 करोड़ रुपये जारी किया है। ऐसे में उपलब्ध कराए गए धन से 50 फीसद बच्चों को ही स्वेटर मुहैया हो सकेगा। वहीं प्रत्येक स्वेटर की कीमत 200 रुपये तय की गई है। जिसका वजन 250 ग्राम होना चाहिए। शासन के सख्त रुख के बाद जिला प्रशासन की तरफ से परिषदीय विद्यालयों के जिम्मेदारों पर लगातार दवाब बनाया जा रहा है। विद्यालय प्रबंध समिति स्वेटर का इंतजाम नहीं कर पा रही है। प्रधानाध्यापकों की मानें तो बाजार में पर्याप्त मात्रा में स्वेटर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सवा दो लाख बच्चों के लिए स्वेटर मुहैया कराना मुश्किल हो गया है। शिक्षक संगठनों ने स्वेटर की कीमत व उपलब्ध कराई गई धनराशि को लेकर सवाल उठाया है। इस संबंध में अधिकारियों को पत्र भी लिखा है।
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शिक्षकों की तरफ से स्वेटर बाजार में उपलब्ध न होने की बात कही जा रही है। बच्चों को हर हाल में स्वेटर वितरण के निर्देश दिए गए हैं। इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
-उपेंद्र कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी