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उन्नाव : ठंड में परिषदीय बच्चों को स्वेटर पहनाने में जुटा बेसिक शिक्षा विभाग गुणवत्ता और मूल्यों को भूल बैठा, स्वेटर की धनराशि में शुरू हुआ बंदरबांट

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उन्नाव : ठंड में परिषदीय बच्चों को स्वेटर पहनाने में जुटा बेसिक शिक्षा विभाग गुणवत्ता और मूल्यों को भूल बैठा, स्वेटर की धनराशि में शुरू हुआ बंदरबांट

उन्नाव : ठंड में परिषदीय बच्चों को स्वेटर पहनाने में जुटा बेसिक शिक्षा विभाग गुणवत्ता और मूल्यों को भूल बैठा है। 200 रुपये प्रति स्वेटर की कीमत निर्धारित है, लेकिन बच्चों को जो स्वेटर दिया जा रहा है उस पर भी अब सवाल उठ खड़े हुए हैं। अभी तक किसी ने खुले तौर पर इसका विरोध नहीं किया है लेकिन अंदर ही अंदर बंदरबांट की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। बच्चों को मिलने वाले स्वेटर की गुणवत्ता और कीमत की 'गारंटी' शिक्षाधिकारी ही तय कर रहे हैं, जबकि प्रशासन स्तर पर तय कमेटी के तहत कीमत के साथ गुणवत्ता को परखा जाना था। शासन से पहले किस्त की रकम भी जिले को मुहैया कराई गई है।

गौरतलब है कि स्वेटर वितरण की प्रक्रिया शासन स्तर से की जानी थी। जो किसी वजह से लेट हुई और शासन ने ठंड को देखते हुए जिले को पूरी कमान सौंप दी। आदेश के बाद शिक्षा विभाग द्वारा स्वेटर वितरण की प्रकिया शुरू करा दी गई, जबकि जिला स्तरीय कमेटी के तहत होना था। यहीं से खेल का शुरू होने की बू आने लगी। हाथ में आए मौके को कैश करने में अब शिक्षा महकमा जुट गया है। स्कूलों में प्रधान शिक्षक द्वारा स्वेटर की खरीद कराते हुए शुल्क की रसीद मुख्यालय भेजी जानी है। अब तक करीब 290 स्कूलों में एक लाख से अधिक स्वेटर बांटे भी जा चुके हैं। प्रति स्वेटर की कीमत से बजट करीब दो करोड़ जा पहुंचा है। मुख्यालय अधिकारी भी यहां अपने कमीशन से नहीं चूक रहे हैं। सब कुछ गुपचुप तरीके से चल रहा है। यही नहीं, महरून रंग के स्वेटर बच्चों को दिए जाने थे। यहां रंगों का भी खेल जारी है। 2.41 लाख से अधिक बच्चों के बीच स्वेटर दिया जाना है। स्वेटर वितरण के लिए कुल बजट 4.92 करोड़ है। पहली किस्त की रकम 2.42 करोड़ रुपये जिले को भेज दी गई है। जो एसएमसी खातों में भेजी जाएगी।

स्वेटर में दुकान भी 'अपनों' की

परिषदीय बच्चों में बंटने वाले स्वेटर में खुद के साथ 'अपनों' को भी फायदा पहुंचाने का काम किया जा रहा है। स्वेटर की खरीद जान पहचान वालों से ही की जा रही है। जहां से थोक में स्वेटर लिया जा रहा है। यहां पुराने स्वेटर भी खपाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।

बच्चों को स्वेटर पहनाने की कार्रवाई पूरी की जा रही है। गुणवत्ता या कीमत की जांच बाद में की जाएगी।

नसरीन फारूकी, प्रभारी बीएसए

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