इलाहाबाद : अंतरजनदीय तबादला, ऑन लाइन आवेदन स्वीकार करने का आदेश, अंतरजनपदीय तबादले में शिक्षिकाओं को राहत, पांच वर्ष से कम सेवा वाली टीचर भी कर सकेंगी आवेदन
हाईकोर्ट ने ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करने का आदेश पारित करने के लिए कहा
पति की तैनाती या सास-ससुर के निवास वाले जिले में तबादले को कर सकेंगी आवेदन
इलाहाबाद । हाईकोर्ट ने परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षिकाओं को राहत दी है। कोर्ट ने ऐसी शिक्षिकाओं को भी अंतरजनपदीय तबादले में शामिल करने के लिए कहा है, जिनकी सेवा पांच वर्ष से कम है। संयुक्त सचिव बेसिक शिक्षा को निर्देश दिया कि वह नियम 8(2)(डी) के तहत अध्यापिकाओं के ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करने का आदेश पारित करें।
अभी तक ऑनलाइन आवेदन सिर्फ उन शिक्षकों का स्वीकार हो रहा है, जिनकी सेवा पांच वर्ष से अधिक है। कोर्ट के इस आदेश से ऐसी शिक्षिकाओं को लाभ होगा जो पांच वर्ष से कम सेवा होने के कारण पति की तैनाती वाले जिले में स्थानांतरण नहीं करा पा रही थीं। विभा कुशवाहा और 21 अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी सुनवाई कर रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग की स्थानांतरण नियमावली 2008 के अनुसार अंतरजनपदीय तबादले के लिए शिक्षक की एक जिले में कम से कम पांच वर्ष की सेवा होनी चाहिए। इससे पूर्व उसका तबादला दूसरे जनपद में नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही नियम 8(2)(डी) में प्रावधान है कि विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष से कम अवधि में भी तबादला किया जा सकता है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि प्रदेश सरकार ने 13 जून 2017 और 20 सितंबर 2017 के तहत याचीगण का दावा पांच वर्ष की अर्हता पूरी न होने के कारण स्वीकार नहीं किया। हालांकि, वह नियम 8(2)(डी) के तहत आते हैं। इतना ही नहीं मनमाने तरीके से उन शिक्षिकाओं को इस नियम के तहत पांच वर्ष की अनिवार्यता से छूट दे दी गई, जिनके पति अर्द्धसैनिक बलों, नेवी या एयरफोर्स में तैनात हैं। यह भेदभावपूर्ण और मनमाना है तथा समानता के संवैधानिक अधिकार का हनन करता है।
याची विभा कुशवाहा ने कुशीनगर से बलिया जिले में तबादले की मांग की थी, जहां उसके पति की तैनाती है। मगर उसका आवेदन स्वीकार नहीं हुआ जबकि नियम 8(2)(डी) के तहत पति-पत्नी एक ही जिले में तैनाती की मांग कर सकते हैं या महिला अपने सास-ससुर के निवास वाले जिले में तैनाती की मांग कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि विशेष नियम सामान्य नियम पर प्रभावी होगा। इसके तहत याचीगण से आवेदन स्वीकार करने का आदेश दिया जाए। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अगली तारीख छह फरवरी को बेहतर सुझाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।