इलाहाबाद : 68,500 शिक्षक भर्ती की सीटें खाली रहने के आसार, घटते जा रहे अभ्यर्थी, टीईटी जैसा परिणाम होने से गहराएगा संकट
इलाहाबाद : तमाम दावों के उलट शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में अभ्यर्थी निरंतर घट रहे हैं। कुल पदों के सापेक्ष अब हर सीट पर दो दावेदार भी नहीं हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने पिछले दो वर्षो में जिस तरह से टीईटी का रिजल्ट घोषित किया है, वैसा ही परिणाम आने पर भर्ती की सीटें खाली रह जाने के आसार बढ़ गए हैं। पहली बार लिखित परीक्षा हो रही है और योगी सरकार जिस तरह सख्ती से इम्तिहान करा रही है उससे सीटों के रिक्त रहने के आसार बढ़ गए हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश सरकार यह भर्ती लिखित परीक्षा से कराने जा रही है। पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि इन पदों के सापेक्ष कम से कम डेढ़ लाख दावेदार होंगे। हालांकि पंजीकरण एक लाख 82 हजार से अधिक ने कराया था लेकिन, अंतिम आवेदन में यह संख्या घटकर सवा लाख पर पहुंच गई। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने आवेदनों की जांच के बाद 4092 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया है, क्योंकि वह तय अर्हता पूरी नहीं कर रहे थे। ऐसे में अब एक लाख 20 हजार 800 से अधिक दावेदार ही बचे हैं। यह संख्या हर पद पर दो दावेदारों की भी नहीं है। परीक्षा प्रदेश भर के 358 परीक्षा केंद्रों पर 12 मार्च को होनी है। परीक्षा नियामक कार्यालय यूपी टीईटी भी करवाता आ रहा है।
पिछले और इस वर्ष टीईटी का रिजल्ट लगातार गिरता रहा है। महज 11 फीसदी अभ्यर्थी ही सफल हो सकें हैं। यदि यह सिलसिला कायम रहता है तो शिक्षक भर्ती की तमाम सीटें खाली रह जाएंगी। हालांकि इस परीक्षा में वही अभ्यर्थी शामिल हो रहे हैं, जो टीईटी उत्तीर्ण कर चुके हैं, ऐसे में रिजल्ट बहुत गिरने के आसार कम हैं, लेकिन परीक्षा में नकल या फिर अन्य साधनों का प्रयोग नहीं हो सकेगा। योगी सरकार जब यूपी बोर्ड परीक्षा में बड़ी संख्या में परीक्षार्थी होने पर भी नकल पर अंकुश लगाने में कामयाब रही है।