इलाहाबाद : नए सत्र में माध्यमिक कालेजों में पढ़ाई का संकट, राजकीय व अशासकीय कालेजों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली
धर्मेश अवस्थी ’ इलाहाबाद । योगी सरकार को नए शैक्षिक सत्र में फिर एक परीक्षा से गुजरना होगा। राजकीय और अशासकीय कालेजों में शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं, ऐसे में छात्र-छात्रओं की पढ़ाई कैसे होगी यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इसी बीच सरकार एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से किताबों का इंतजाम कर रही है लेकिन, उन्हें पढ़ाने वालों की व्यवस्था पर कोई गंभीर नहीं है। केवल नए-नए प्रयोग करने की तैयारी जरूर है।
प्रदेश के माध्यमिक कालेजों का नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है। होली की छुट्टियां निकाल दें तो इसमें अब एक माह का समय बचा है। इसके बाद भी सरकार इन कालेजों पढ़ाई कराने के पुख्ता इंतजाम नहीं कर सकी है। इस बार का शैक्षिक पिछले वर्षो की अपेक्षा अलग होगा, क्योंकि शिक्षक व छात्र दोनों को नए सेलेबस और पढ़ाई से दो-चार होना पड़ेगा।
राजकीय में दस हजार पद रिक्त : प्रदेश के राजकीय कालेजों में दस हजार एलटी ग्रेड शिक्षक के पद एक साल से खाली पड़े हैं। 2016 में ही इन पदों को भरने का विज्ञापन निकला था लेकिन, सरकार ने उस प्रक्रिया को निरस्त करके और मार्च में खाली और पदों को जोड़कर उप्र लोकसेवा आयोग भर्ती के लिए भेजा है। आयोग ने इसकी लिखित परीक्षा छह मई को कराने का कार्यक्रम जारी किया है। अब तक आवेदन शुरू नहीं हुए हैं। यदि तय समय पर भी परीक्षा हुई तो जुलाई से पहले कालेजों को शिक्षक नहीं मिलेंगे।
मॉडल कालेजों को कब मिलेंगे शिक्षक : सरकार ने प्रदेश के 17 मंडलों के जिलों में 125 मॉडल कालेज खोलने का आदेश दिया है। हर कालेज में दस प्रवक्ता तैनात होंगे। इनका अब तक अधियाचन शिक्षा निदेशालय से आयोग को भेजा नहीं गया है। यदि राजकीय कालेजों के प्रवक्ता इन कालेजों में जाएंगे तो पहले से संचालित कालेजों में पढ़ाई प्रभावित होगी। पहले से इन कालेजों में प्रवक्ता कम हैं और 1250 प्रवक्ता और कम हो जाएंगे।
अशासकीय कालेजों का पुरसाहाल नहीं : अशासकीय माध्यमिक कालेजों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व एलटी ग्रेड शिक्षकों का चयन करने वाले माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का अब तक गठन नहीं हुआ है। यदि जल्द गठन हो जाता है तब भी 2011 भर्ती के शिक्षकों का साक्षात्कार व 2016 की लिखित परीक्षा व इंटरव्यू कराने में ही कई माह लगेंगे। इन भर्तियों की ही करीब दस हजार से अधिक संख्या है। वहीं करीब चार हजार से अधिक नए अधियाचन चयन बोर्ड पहुंच चुके हैं। प्रधानाचार्यो की तैनाती यहां कई वर्षो से नहीं हो सकी है।
अंग्रेजी माध्यम स्कूल बढ़ाएंगे सिरदर्द : प्राथमिक की तर्ज पर माध्यमिक राजकीय कालेजों को भी अंग्रेजी माध्यम से संचालित करने पर मंथन चल रहा है। इसके लिए सुझाव मांगे गए हैं लेकिन, शिक्षकों की पहले से संकट है ऐसे में यदि अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले जाते हैं तो वहां पर पढ़ाएगा कौन? ।